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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नीट में आरक्षण मामले में करेगा सुनवाई, केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को चिकित्सा पाठ्यक्रमों (मेडिकल और डेंटल कोर्स) के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसद आरक्षण लागू करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है। सर्वोच्‍च अदालत ने इन याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाओं पर केंद्र सरकार और मेडिकल काउंसेलिंग कमेटी (एमसीसी) को नोटिस जारी करते हुए याचिकाओं को एक लंबित मामले के साथ जोड़ दिया।

याचिकाकर्ता नील ऑरेलियो नून्स (Neil Aurelio Nunes) एवं अन्य की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी. दातार ने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। उन्‍होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या आरक्षण क्षैतिज या उधर्व होना चाहिए।

एक अन्य याचिकाकर्ता यश टेकवानी एवं अन्य की ओर से दलीलें पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि पहले के एक फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि उच्च डिग्री पाठ्यक्रमों में कोई आरक्षण नहीं होगा। अब इस फैसले से नीट पर प्रभाव पड़ेगा। इस पर अदालत ने कहा कि संबंधित मामले में वह पहले ही नोटिस जारी कर रही है। इस मामले में सर्वोच्‍च अदालत ने दो हफ्ते में प्रतिवादियों से जवाब देने को कहा है।

टेकवानी एवं अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि याचिकाकर्ताओं और इसी तरह से प्रभावित उम्मीदवार 15 फीसद यूजी और 50 फीसद पीजी अखिल भारतीय कोटा सीटों (एमबीबीएस/बीडीएस और एमडी/एमएस/एमडीएस) में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण और 10 फीसद ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने का संकल्प लिया है। यह आदेश मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लागू होता है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नए आरक्षण मानदंड को लागू करने के लिए एमसीसी द्वारा जारी 29 जुलाई के नोटिस को रद करने की गुजारिश की गई है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हेमा कोहली भी इस बेंच में शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने सभी याचिकाओं को एक लंबित मामले के साथ टैग किया।

टेकवानी और अन्य ने अपनी याचिका में दलील दी कि वे डॉक्टर हैं जिनके पास एक विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त एमबीबीएस की डिग्री है जो राज्य चिकित्सा परिषद के साथ रजिस्‍टर्ड है। वे एनईईटी-पीजी 2021 देने के इच्छुक हैं जो 11 सितंबर को आयोजित होने वाली है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 29 जुलाई को जारी नोटिस से देश भर में हजारों छात्रों के सामने आने वाली गंभीर समस्‍याएं खड़ी हो सकती है। यही कारण है कि हमने इन गंभीर समस्याओं को न्यायालय के संज्ञान में लाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौजूदा रिट याचिका दायर की है।

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