यह राष्ट्रीय संकट का समय है, हम चुप बैठे नहीं रहेंगे- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एलएन राव और एसआर भट्ट की बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- वेंदाता द्वारा ऑक्सिजन के उत्पादन पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। यह राष्ट्रीय आपदा का वक्त है। देश की सबसे बड़ी अदालत होने की नाते हम जिंदगियों को बचाने की हर कोशिश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने वेंदाता की ऑक्सिजन उत्पादन ईकाई को 15 जुलाई तक ऑपरेशन की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस पर दोबारा आदेश देगा।

ऑक्सिजन मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू होती ही जस्टिस सांघी ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के बारे में पूछा। कोर्ट ने पूछा कि क्या वहां से याचिका पर यहां सुनवाई को लेकर कुछ कहा गया है।एएसजी ने कहा कि ऐसे किसी आदेश के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है।

जस्टिस सांघी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या उन्होंने ऑक्सिजन सप्लायर्स के साथ बैठक की है। दिल्ली सरकार के एएसजी ने इस पर कहा, ‘हां, दो बार की गई है।’ इस पर अदालत ने कहा कि वह आउटकम के साथ सवा 12 बजे सुनवाई करेगी।

महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने कहा कि हमारे यहां तमाम क्रिटिकल मरीज हैं, जिनकी जान दांव पर लगी है। मुझे अभी अपनी बात रखने दी जाए।

दिल्ली सरकार से दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ‘हमें कहीं डिस-कनेक्शन नजर आता है। आप आदेश जारी करते हैं। लेकिन जमीन पर उन पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। सीनियर एडवोकेट तुषार राव ने अदालत के सामने सुझाव रखा कि यहां तमाम छोटे छोटे अस्पताल हैं और ऑक्सिजन की सप्लाई को बरकरार रखा जाए। इन अस्पतालों में भी तो समस्या को कुछ कम किया जा सकता है।

एसजी तुषार मेहता ने हाई कोर्ट से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में व्यस्त है। हाई कोर्ट ने कहा कि हम पहले ही तय कर चुके हैं कि वहां मामले की सुनवाई खत्म होने दो, उसके बाद सुनेंगे। अदालत सवा 12 बजे के बाद लगेगी।

देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ऑक्सिजन संकट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से प्लान मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में कहा था कि लोग ऑक्सिजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं। उसने इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह ऑक्सिजन की सप्लाई तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं और महामारी के खिलाफ टीकाकरण के तरीके समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय योजना पेश करे।

ध्यान रहे कि इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग करने की अनुमति मांगी। उन्होंने कोविड 19 मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए जाने पर कहा कि मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यह कहा जाए कि प्रधान न्यायाधीश (तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे) को जानता हूं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिस तरह से कुछ वर्चुअल मीडिया प्लैटफॉर्म इस मामले में साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त करने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

बहरहाल, दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पतालों में ऑक्सिजन सिलेंडर की कमी से टूटे कहर पर रोष जताया और कहा कि हम सभी जानते हैं कि देश भगवान भरोसे चल रहा है। कोविड मैनेजमेंट को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार के एक दिन बाद हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि सरकार चाह ले तो कुछ भी कर सकती है, यहां तक की ‘धरती को स्वर्ग’ बना सकती है।

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