Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां को पान का पत्ता चढ़ाया जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का प्रतीक है. यह देवी को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने का एक तरीका माना जाता है.
पान के पत्तों का इस्तेमाल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है, साथ ही यह पवित्रता और नई शुरुआत का भी प्रतीक है.
दुर्गा पूजा में पान के पत्ते का महत्व
दुर्गा पूजा में पान के पत्ते का विशेष महत्व है, क्योंकि यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक है. देवी को पान का पत्ता चढ़ाने से भक्ति और सम्मान व्यक्त होता है और यह दैवीय आशीर्वाद व सुरक्षा के लिए अनुरोध का भी प्रतीक है.
इसे पवित्र माना जाता है और माना जाता है कि इसमें संपूर्ण देवी-देवताओं का वास होता है, खासकर मां दुर्गा का. यह पूजा में ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है.
दुर्गा पूजा में पान के पत्ते को शुभ, समृद्ध और दैवीय आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है, जिसे देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और भक्ति व सुरक्षा का अनुरोध करने के लिए चढ़ाया जाता है.
इसका रंग देवी के तेज का प्रतीक है और यह घर में सुख-समृद्धि लाता है. देवी को पान का पत्ता चढ़ाने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है.
पान का पत्ता चढ़ाने के धार्मिक कारण
शुभता और समृद्धि का प्रतीक
हिंदू धर्म में पान के पत्ते को बहुत शुभ माना जाता है यह जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है.
भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक
यह दैवीय शक्तियों के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने और लौकिक आदेश को स्वीकार करने का एक संकेत है.
नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए
घर में नकारात्मक ऊर्जा खत्म करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों तक पान के पत्ते पर केसर रखकर दुर्गा स्तोत्र और दुर्गा जी की नामावली का पाठ करें.
दैवीय उपस्थिति
ऐसा माना जाता है कि पान के पत्ते में इन्द्र, शुक्र, मां सरस्वती, मां महालक्ष्मी, भगवान शिव और सूर्य सहित अनेक देवी-देवताओं का वास होता है.