Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 22 सितंबर से शुरू हो चुके है, इस बार पंचांग के अनुसार ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है जब मां चंद्रघंटा की पूजा लगातार दो दिनों तक की जाएगी. आमतौर पर नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है, लेकिन इस बार तिथि और नक्षत्रों के विशेष संयोग के कारण भक्तों को 24 और 25 सितंबर दोनों दिन मां चंद्रघंंटा की आराधना का अवसर मिलेगा.
संयोग का कारण
2025 में नवरात्रि का तीसरा दिन तृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि के संयोग में आ रहा है.
तिथि परिवर्तन की स्थिति के कारण श्रद्धालु 24 सितंबर को भी और 25 सितंबर को भी मां चंद्रघंटा की पूजा कर सकेंगे.
यह संयोग अत्यंत दुर्लभ माना गया है और इसे शुभ फलदायी भी बताया गया है.
मां चंद्रघंटा की महिमा
मां चंद्रघंटा, मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं.
इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटा सुशोभित है, जिससे इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा.
यह रूप शौर्य, पराक्रम और शांति का प्रतीक है.
मान्यता है कि इनकी पूजा से भय और शत्रुओं का नाश होता है तथा जीवन में साहस और सफलता मिलती है.
पूजा विधि (24 और 25 सितंबर को)
प्रातः स्नान कर स्वच्छ पीले या सुनहरे वस्त्र धारण करें.
पूजन स्थल पर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
धूप, दीप, पुष्प और अक्षत अर्पित करें.
शहद और दूध से बने भोग को मां को अर्पित करना विशेष फलदायी है.
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.
पूजन के अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें.
विशेष भोग
मां चंद्रघंटा को शहद और दूध का भोग प्रिय है.
इसे अर्पित करने से जीवन में मधुरता, सुख और समृद्धि आती है.
पूजा के नियम
पूजा में सात्त्विकता और पूर्ण श्रद्धा का पालन करें.
पूजा के दौरान क्रोध, अपवित्र विचार और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें.
इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान देने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
आइये जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा करने से क्या लाभ होता है.
कष्टों से मिलता है छुटकारा
मां शक्ति का शिवदूती रूप है. राक्षसों के साथ युद्ध करते समय मां चंद्रघंटा ने घंटे का टंकार से उनका नाश किया था. उन्होंने कहा कि मां के इस स्वरूप की पूजा करने से साधकों का मणिपुर चक्र जाग्रत होता है अपने आप सिद्धियां प्राप्त होती हैं. इसके साथ-साथ सांसारिक कष्टों से मुक्ति भी मिलती है.
मां के बारे में यह भी जानें
मां चंद्रघंटा की सवारी बाघिन है. इनके दस हाथ होते हैं. इनके बाएं हाथ में गदा, त्रिशूल, तलवार और कमंडल होते हैं. वहीं, पांचवां हाथ वर मुद्रा के रूप में होता है. दाहिने हाथ की बात करें तो मां कमल, फूल, तीर, धनुष धारण होती हैं. इसके साथ-साथ एक हाथ अभय मुद्रा में होता है. मां चंद्रघंटा को चमेली का फूल बेहद प्रिय होता है.
जानें क्या है पूजा विधि
पूजा के दौरान सभी लोगों को लाल रंग के वस्त्र पहनना चाहिए.
सबसे पहले प्रात: काल उठकर स्नान करें.
घर के मंदिर में मां चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें.
मां को अक्षत, सिंदूर, सुगंध, धूप और नैवेद्य अर्पित करें.
मां को भोग में दूध की बनी खीर, पकवान या मिठाई लगाएं.
पूजा के दौरान मां के मंत्रों का निरंतर जाप करते रहें.
इसके आलाव दुर्गा चालीसा का भी पाठ करें.
मां की विधिवत आरती करें.
अंत में सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें.