दिसंबर की शुरुआत से मौसम ने भी अपने अंदाज बदल दिए हैं। इस घने कोहरे और हाड़ कंपाने वाली ठंड ने सभी की हालत ख़राब कर दी है। अगर लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी को सुचारू रूप से नहीं चलानी होती तो लोग घर से बाहर निकलने की सोचते भी नहीं… लेकिन जाड़ा, बरसात, गर्मी सभी महीनों में जीवनयापन करने के लिए काम तो करना पड़ेगा। जिसके लिए इस कड़ाके की ठंड में भी हमें रोजाना उठना पड़ेगा।
आप ये वाली तस्वीर देख रहे हैं कैसे इस कंप कंपाने वाली ठंड में एक आदमी साइकिल से अपने परिवार को लेकर कहीं जा रहा है। जिस ठंड में रजाई से निकलने का मन नहीं करता। वहां ये आदमी अपनी बीवी और बच्चों के साथ कहीं जा रहा है।
वहीं आप दूसरी तस्वीर में देख सकते हैं कैसे कुत्ते, बिल्ली पालने के शौक़ीन लोग अपने कुत्ते को सुबह-सुबह इस धुंध में जब हमें कुछ नहीं दिखता तब वह मॉर्निंग वाक पर लेकर निकले है। ऐसा नहीं उन्हें ठंड नहीं लग रही हैं।
ऐसा इसलिए की यह उनका रोजाना का काम है जो उन्हें करना जरुरी है। ऐसे में हम यही कह सकते हैं इस रोजमर्रा की जिंदगी में बस सपने देख सकते हैं कि घर में अलाव जलाकर चाय की चुस्कियों के साथ गपशप की जाए, लेकिन असल ज़िंदगी ये सब मुमकिन नहीं है।
क्योंकि ऑफिस वालों आंधी आये या तूफ़ान ऑफिस तो जाना ही पड़ेगा। इसी तरह कालेज वालों बच्चों को कालेज घर की महिलाओं को किचन संभालना ही पड़ेगा। ऐसे में अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने के लिए हम ठंड को बहाना बनाकर घर में नहीं बैठ सकते हैं।