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राहुल गांधी की संसद की सदस्यता पर तलवार? अब उनके सामने क्या है रास्ता

Rahul Gandhi Defamation Case: सवाल उठता है कि क्या सिर्फ 2 साल से अधिक सजा पाए जाने के बाद ही सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म होती है और वो 6 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाते है? ऐसा नहीं है, दरअसल कुछ मामलों में सिर्फ दोषी पाए जाने और फाइन देकर छूट जाने के बाद भी सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म हो जाती है.

सूरत की अदालत से अपराधिक मामले में कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) के दोषारोपण और दो साल की सजा मिलने के बाद अब उनकी संसद की सदस्यता पर भी तलवार लटक गई है. हालांकि सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को ऊपरी अदालत में जाने के लिए 30 दिन का वक्त दिया है लेकिन ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को राहत नहीं मिलती है तो राहुल गांधी कानून के मुताबिक संसद को सदस्यता खो देंगे.

चुनाव आयोग के जानकारों ने बताया कि कानून में प्रावधान है कि दो साल या उससे अधिक की सजा पाने पर संसद की सदस्यता चली जाएगी. राहुल गांधी के मामले पर पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह के अनुसार, भले ही सजा निलंबित कर दी गई हो (जो कि 3 साल से कम की सजा वाले मामलों में एक सामान्य कानून है), राहुल को इस आदेश को चुनौती देनी होगी और अपनी सजा पर स्टे हासिल करना होगा

सांसद की अयोग्यता के मसले पर क्या है कानून प्रावधान ?
सांसद और विधायक कई मामलों में अदालत से दोषी और सजा पाने के बाद अपनी सदस्यता खो देते हैं और सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य भी होते हैं.

सवाल उठता है कि क्या सिर्फ 2 साल से अधिक सजा पाए जाने के बाद ही सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म होती है और वो 6 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाते है? ऐसा नहीं है, दरअसल कुछ मामलों में सिर्फ दोषी पाए जाने और फाइन देकर छूट जाने के बाद भी सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म हो जाती है.

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 में दोषी नेताओं, सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान है. इस अधिनियम की धारा 8(1) के अंतर्गत प्रावधान है कि यदि कोई विधायिका सदस्य सांसद अथवा विधायक बलात्कार, अस्पृश्यता, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के उल्लंघन; धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करना, भारतीय संविधान का अपमान करना, प्रतिबंधित वस्तुओं का आयात या निर्यात करना, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होना जैसे अपराधों में लिप्त होता है, तो उसे इस धारा के अंतर्गत अयोग्य माना जाएगा और कोर्ट की तरफ से सिर्फ हर्जाना और जेल की सजा होने पर वो अपनी सांसद और विधायक की सदस्यता को खो देगा और 6 वर्ष की अवधि के लिये चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

इस अधिनियम की धारा 8 (2) में प्रावधान है की कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, मिलावटखोरी और दहेज से जुड़े मामले में 6 महीने से अधिक की सजा पाता है तो वो अपनी विधायक और सांसद की सदस्यता खो देगा और सजा पूरी करने के बाद 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा.

इस अधिनियम की धारा 8 (3) में प्रावधान है कि किसी भी अन्य अपराध के लिये दोषी ठहराए जाने वाले किसी भी विधायिका सदस्य को यदि दो वर्ष या दो साल से अधिक के कारावास की सज़ा सुनाई जाती है तो उसे दोषी ठहराए जाने की तिथि से आयोग्य माना जाएगा. ऐसे व्यक्ति को सज़ा पूरी किये जाने की तिथि से 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य माना जाएगा.

यानी साफ है कि बहुत मामले में सिर्फ दोषी पाए जाने के साथ ही सांसद और विधायक की सदस्यता खत्म होने का प्रावधान है और 6 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य होने का प्रावधान है.

क्या है मामला?
सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें गुरुवार को दो साल कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने, हालांकि गांधी को जमानत भी दे दी तथा उनकी सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें.

गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे है?’’ राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी. वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी.

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