होली के अब चंद दिन ही बचे हैं। होली के मौके पर पूरा देश रंगों के इस त्योहार में सराबोर दिखता है। घर से लेकर बाजार तक रंगो कि खुशबू से मन झूमने को बेताब होता है। दिल्ली से लेकर यूपी तक और गुजरात से लेकर बंगाल तक हर कोई होली के अलग-अलग रंगों में डूबा हुआ होता है। अगर अयोध्या में भाईचारे की होली खेली जाती है। तो वहीं होली के मौके पर सबसे अलग रंग कान्हा के शहर मथुरा में होता है। जहां भक्त रंगों के साथ-साथ कृष्ण भक्ति के रंग में भी देखने को मिलता है।
जहां होली का खुमार हर जगह देखने को मिल रही है। वहीं अयोध्या में आपसी भाईचारे और सौहार्द्र की ऐसी होली खेली जाती है। जहां सभी धर्म, जाति को भूलकर गुलाल और फूलों की रंगो में मन मुग्ध हो जाने को तैयार होते हैं लोग। इस साल की होली के रंगों में इतिहासिक रंग भी खिलेगा। इस होली के बाद केन्द्र सरकार के एलान पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर निर्माण को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन भी किया जा चुका है। इस ट्रस्ट में 15 सदस्य हैं। साधु-संतों के अलावा कई सम्मानित नागरिकों व नौकरशाहों को भी इसका सदस्य बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा को ट्रस्ट के प्रमुख का दायित्व सौंपा गया है। मंदिर निर्माण शुरू किए जाने व इसकी रूपरेखा को लेकर ट्रस्ट के सदस्य कई बैठकें कर चुके हैं। निर्माण शुरू किए जाने की तारीख अब होली के बाद तय की जाएगी।
अब ऐसे में कहा जा सकता है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सपना नवरात्रि से पहले पूरा हो सकता है। राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तारीख को लेकर दो तिथियों पर विचार किया जा रहा है। पहली तिथि ‘राम नवमी’ (2 अप्रैल) है और दूसरी तिथि ‘अक्षय तृतीया’ (26 अप्रैल) है। इन दोनों तिथियों में से किसी एक दिन मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो सकता है। आपको बता दें कि इस होली के बाद भाईचारा कि इस पवित्र भूमि पर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर बनने जा रहा है। जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने लला से मिलने उनके धाम आऐगें। रघुकुल की रीति का श्रेष्ठ चौपाई की ध्वनि इस पवित्र हवाओं में मिलकर भक्तो को त्रिप्त करेगी।
अपने लला से मिलने आने वाले भक्तों के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनेगा। इसलिए इसके निर्माण में राम जन्मभूमि परिसर की 67 एकड़ जमीन लेने कि चर्चा हो रही है। भव्य मंदिर निर्माण में अगर जमीन कम पड़ रही हो तो हो सकता है कि सरकार के गठित ट्रस्ट के आदेशनुसार इस परिसर के आस-पास की भूमि का अधिग्रहण भी किया जाए। चाहे जो हो जाए इस साल होली रघुवीरा के साथ ही खेली जाएगी।