यूक्रेन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विशेष सेन्य अभियान शुरू होने के बाद तेल की क़ीमत सौ डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई है.
रूस ने पूर्वी यूक्रेन के डॉनबास क्षेत्र में सैन्य अभियान शुरू किया है. बीते सात साल में ये तेल की सबसे ज़्यादा क़ीमत है जब तेल के दाम इस स्तर पर पहुंचे हैं. तेल की क़ीमतें इस हफ़्ते की शुरुआत में रूस पर प्रतिबंध और रूसी गैस पाइप लाइन को ब्लॉक करते ही तेज़ हो गई थीं.
रूस, सऊदी अरब के बाद क्रूड ऑयल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. ब्रिटेन अपने इस्तेमाल के लिए जो तेल और गैस ख़रीदता है वो सारा रूस से नहीं आता लेकिन फिर भी अगर वैश्विक स्तर पर तेल के दाम बढ़ेंगे तो उसका असर ब्रिटेन के साथ-साथ लगभग हर देश पर पड़ेगा.
सीएमसी मार्केट्स की बाज़ार विश्लेषक टीना तेंग कहती हैं, “हम तेल की क़ीमतों को बढ़ते हुए देखेंगे.” अमेरिका ने बुधवार को रूस पर दबाव बढ़ा दिया. उसने नॉर्ड 2 गैस पाइपलाइन से जुड़ी रूसी कंपनियों और उनके कॉरपोरेट अधिकारियों पर पर पैनल्टी लगाए.
नॉर्ड स्ट्रीम 2 बाल्टिक सागर के नीचे 1,200 किलोमीटर लंबी एक पाइपलाइन है जो सेंट पीटर्सबर्ग के क़रीब समुद्र में जर्मनी के लुबमिन तक गैस ले जाने वाली है. मंगलवार को जर्मनी ने पाइपलाइन को अंतिम मंज़ूरी देने की कार्रवाई रोक दी. ये पाइपलाइन तैयार है लेकिन अभी ऑपरेशन में नहीं है.
अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अन्य सहयोगी देशों ने यूक्रेन में रूस के क़दम के बाद उस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों और तीन रूसी अरबपतियों की संपत्ति फ़्रीज़ कर दी है और उन पर ट्रैवल बैन लगा दिया है. मंगलवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ये प्रतिबंध शुरुआती हैं और बढ़ाए भी जा सकते हैं.