Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी.
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस निर्णय पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें निजी मेडिकल कॉलेजों को 50% सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान शुल्क लागू करने का निर्देश दिया गया था. न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने सहरसा के लॉर्ड बुद्धा कोशी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल सहित अन्य संस्थानों की याचिका पर यह आदेश दिया है.
याचिकाकर्ताओं के वकील रौशन ने तर्क दिया कि 29 जुलाई, 2025 को जारी सरकारी पत्र में निजी मेडिकल कॉलेजों को 50% सीटों पर सरकारी शुल्क लागू करने का आदेश दिया गया था. कहा गया था कि 50% सीटों पर नामांकन लेने वाले छात्रों से उतना ही शुल्क लें जो सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लिया जाता है.
…और क्या दलील दी गई?
याचिकाकर्ताओं ने इसे कॉलेजों के वित्तीय ढांचे के लिए हानिकारक बताया. कहा कि इससे भारी आर्थिक नुकसान होगा. वित्तीय घाटा होगा. इसकी भरपाई के लिए अन्य छात्रों की फीस में भारी वृद्धि (1.5 करोड़ से लेकर 2 करोड़ रुपये प्रति छात्र) करनी पड़ सकती है. कई और कारण बताए गए. यह भी कहा गया कि इससे मेडिकल शिक्षा महंगी हो जाएगी. इतना ही नहीं सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए यह पहुंच से बाहर हो सकती है.
यह भी कहा गया कि मेडिकल शिक्षा सेवा पर आधारित होनी चाहिए, न कि केवल लाभ पर, लेकिन यह आदेश इस सिद्धांत के खिलाफ है. बताया गया कि एक निजी मेडिकल कॉलेज का औसत सालाना खर्च 100 करोड़ है. स्टाफ, फैकल्टी, उपकरण और बुनियादी ढांचे का खर्च इसमें शामिल है.
छह सप्ताह बाद होगी मामले की सुनवाई
बताया गया कि सरकारी दरों पर शुल्क लागू होने से कॉलेजों का संचालन मुश्किल होगा. इससे हजारों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है. इस पूरे मामले में पटना हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी.