SC ने मध्य प्रदेश में पिछले माह हुए राजनीति संकट को लेकर सोमवार को अंतिम आदेश सुनाया जिसमें उसने कहा कि तत्कालीन हालात के मुताबिक राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल का आदेश सही था।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश Floor Test पर 68 पन्नों का विस्तृत आदेश पारित किया। न्यायालय ने गत 19 मार्च को अंतरिम आदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को अगले दिन विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मामले के तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल का Floor Test का आदेश देना सही निर्णय था। खंडपीठ ने कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को नामंजूर कर दिया कि राज्यपाल इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकते।
SC अदालत ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा के चालू सत्र के दौरान भी अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मध्य प्रदेश के CM शिवराज सिंह चौहान की पुरानी याचिका पर शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल के अधिकारों के टकराव के मुद्दे पर विस्तार से फैसला सुनाया। यह याचिका उन्होंने पिछली सरकार के समय Floor Test और विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर दायर की थी।
मार्च महीने में जब MP की सियासत में भूचाल आया हुआ था और पूर्ववतीर् कमलनाथ की कांग्रेस सरकार पर संकट मंडरा रहा था, तब भारतीय जनता पाटीर् के नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया गया था और तुरंत Floor Test करवाने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने तब Floor Test तुरंत कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।