Covid 19 Third Wave: भारत में Covid की Third Wave अक्टूबर और नवंबर के बीच चरम पर हो सकती है लेकिन इसकी तीव्रता दूसरे चरण की तुलना में काफी कम होगी। महामारी के गणितीय प्रारूपन में शामिल एक वैज्ञानिक ने यह बात सोमवार को कही। वैज्ञानिक ने कहा कि अगर कोई नया स्वरूप नहीं आता है तो स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है। वह तीन सदस्यीय विशेषज्ञ दल का हिस्सा हैं जिसे संक्रमण में बढ़ोतरी का अनुमान लगाने का कार्य दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अगर Third Wave आती है तो देश में प्रतिदिन एक लाख मामले सामने आएंगे, जबकि मई में दूसरी लहर के चरम पर रहने के दौरान प्रतिदिन 4 लाख मामले सामने आ रहे थे। दूसरी लहर में हजारों लोगों की मौत हो गई और कई लाख लोग संक्रमित हो गए थे।
अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा कि अगर नया म्युटेशन नहीं होता है तो यथास्थिति बनी रहेगी और सितंबर तक अगर 50 % ज्यादा संक्रामक म्युटेशन सामने आता है तो नया स्वरूप सामने आएगा। उन्होंने बताया कि कि नये स्वरूप से ही Third Wave आएगी और उस स्थिति में नए मामले बढ़कर प्रतिदिन एक लाख हो जाएंगे।
पिछले महीने, माडल के मुताबिक बताया गया था कि Third Wave अक्टूबर और नवंबर के बीच में चरम पर होगी और रोजाना मामले प्रति दिन डेढ़ लाख से 2 लाख के बीच होंगे, अगर सार्स-कोव-2 का ज्यादा संक्रामक म्युटेशन होता है। बहरहाल, डेल्टा से ज्यादा संक्रामक म्युटेशन सामने नहीं आया। पिछले हफ्ते का अनुमान भी इसी तरह का था लेकिन नए अनुमान में रोजाना मामलों की संख्या घटाकर एक से डेढ़ लाख की गई है। नवीनतम आंकड़ों में जुलाई और अगस्त में हुए टीकाकरण और सीरो सर्वेक्षण को भी शामिल किया गया है।
जुलाई और अगस्त में लगाए गए टीके और हालिया सीरो-सर्वे के आंकड़ों के आधार पर यह आकलन किया गया है। एक नवीनतम अध्ययन में भी यह सामने आया था कि आर फैक्टर 0.89 फीसद है। आर फैक्टर यह बताता है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है। संक्रमण के प्रसार को काबू में करने के लिए जरूरी है कि आर फैक्टर एक फीसद से नीचे बना रहे।
दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में COVID का एक नया वैरिएंट मिला है जो अधिक संक्रामक हो सकता है। यह कोरोनारोधी टीके से मिलने वाली सुरक्षा को भी चकमा दे सकता है। दक्षिण अफ्रीका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फार कम्युनिकेबल डिजीज और क्वाजुलु नटाल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफार्म के वैज्ञानिकों ने कहा कि COVID के नए वैरिएंट सी.1.2 का सबसे पहले देश में इस साल मई में पता चला था। तब से लेकर गत 13 अगस्त तक यह स्वरूप चीन, कांगो, मारीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है।