बिहार (Bihar) की राजनीति में केवल दो बड़े खिलाड़ी हैं, एक भारतीय जनता पार्टी और दूसरी राष्ट्रीय जनता दल (राजद)। प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) को खुद को जीवित रखने के लिए हमेशा से ही एक बैसाखी की जरूरत पड़ती है।
यह बात चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बुधवार को सिवान में मीडिया से बात करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और उनकी पार्टी जनता दल-यूनाइटेड पर जमकर निशाना साधा।
पीके ने कहा कि बिहार की राजनीति में केवल दो बड़े खिलाड़ी हैं, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ( राजद), और इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री की पार्टी जद-यू को हमेशा से जीवित रहने के लिए एक बैसाखी की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि लोग लालू प्रसाद के कार्यकाल के कानूनविहीन युग के बारे में सोचकर अभी भी कांपते हैं, जिसे आज भी ‘जंगल राज’ के रूप में याद किया जाता है। इसके बावजूद मुसलमान राजद को वोट देते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि वे भाजपा को वोट नहीं दे सकते। जदयू की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं है।
इसलिए, यह विकल्पों की कमी है जो लोगों की पसंद को निर्धारित करती है, न कि किसी पार्टी द्वारा कोई महान कार्य। यही कारण है कि नवंबर 2005 के बाद से नीतीश सरकार के पहले पांच वर्षों में कुछ प्रगति के बावजूद बिहार में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है।
प्रशांत किशोर ने संवाददाताओं से कहा कि नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी अपने पहले कार्यकाल के बाद दिशा खो दी। बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के पार्टी के समर्थन पर जद-यू के साथ रास्ते अलग कर लिए थे। वहीं, पिछले साल किशोर ने पश्चिम चंपारण जिले से महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर से राज्य में 3,000 किलोमीटर की ‘जन सुराज’ पदयात्रा शुरू की थी।
अभी हाल के दिनों में प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि सात दलों की महागठबंधन सरकार के 2025 तक टिकने की संभावना नहीं है। हालांकि उन्होंने 2015 में महागठबंधन के पहले संस्करण में विपक्षी दलों को एक साथ जोड़ने में मदद की थी।
पीके ने नीतीश पर तंज कसते हुए कहा कि इससे पहले उन्होंने (नीतीश कुमार) कहा कि भाजपा उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है। जल्द ही आप राजद को लेकर भी ऐसे ही आरोप सुनेंगे। यह गठबंधन टिक नहीं सकता। आज उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से बाहर हो गए हैं, कल कोई और बाहर होगा।
पीके ने मंगलवार को कहा था कि यह खींचतान और दबाव बना रहेगा। 2015 में मैंने गठबंधन बनाने में मदद की थी, नीतीश कुमार या लालू प्रसाद ने नहीं। मैं गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों को जानता हूं। सात दल एक साथ अधिक समय तक नहीं चल सकते। यह असंभव है।