नीतीश कुमार-BJP के बीच कहां अटकी बात? कभी भी हो सकती है साथ आने की घोषणा !

जेडीयू के सूत्र बताते हैं कि जेडीयू लोकसभा चुनाव से पहले ही बार्गेन करने की बेहतर स्थिति में है. इसलिए इस समय बीजेपी या आरजेडी दोनों से ज्यादा से ज्यादा बार्गेन करना जेडीयू को मुफीद दिख रहा है. जेडीयू मानती है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चाहत रखती है.

बिहार में उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद सीएम आवास पर बड़े नेताओं की बैठक बिहार में नीतीश के पाला बदलने की कहानी जोर-शोर से कह रही है. जाहिर है नीतीश और जेडीयू की राह में सबसे बड़े अवरोधक के तौर पर चिराग पासवान को समझा जा रहा है. इसलिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को दिल्ली तलब कर ये जता दिया कि वह नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने को लेकर गंभीरता से विचार करने में जुट गई है. वैसे कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न दिए जाने की घोषणा करके बीजेपी ने जेडीयू की वाहवाही खूब बटोरी है. बिहार राज्य को स्पेशन पैकेज और चिराग पासवान को एनडीए से किनारा करने के मसले पर माथापच्ची जारी है.

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बीच संबंधों में दरार दिसंबर महीने से ही शुरू है. 10 दिसंबर से लगातार तेजस्वी यादव उस कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर रहे थे जिसमें सीएम नीतीश कुमार को बुलाया जा रहा था. लेकिन नीतीश कुमार की कुछ दिनों की चुप्पी तब उथल पुथल में बदल गई जब दिसंबर के अंतिम सप्ताह में नीतीश कुमार ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को बदलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद अपने हाथों में ले लिया. तब से लेकर नीतीश कुमार के कई फैसले गठबंधन लिहाज से हैरान करने वाले हैं. तेजस्वी यादव द्वारा नीतीश कुमार से दो बार की मुलाकात गठबंधन की दरार को कम करने की कोशिश के रूप में देखा गया. इतना ही नहीं दरार को पाटने लालू प्रसाद स्वयं नीतीश कुमार के घर गए लेकिन कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी के अवसर नीतीश कुमार द्वारा परिवारवाद को बढ़ावा दिए जाने पर किया जाने वाला तंज लालू परिवार को नागवार गुजरा. आलम ये हुआ कि लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स पर जवाब देते हुए लिख दिया कि जिनके घर में सुयोग्य औलाद नहीं है वो परिवारवाद पर ज्ञान बेकार में दे रहे हैं.

जाहिर है यही बात नीतीश कुमार को इस कदर चुभी है कि नीतीश बुधवार की कैबिनेट मीटिंग पंद्रह मिनट में ही समाप्त कर तमतमा कर बाहर निकलते हुए देखे गए हैं. नीतीश के इस गुस्से के बाद रोहिणी ने एक्स पर लिखी बातों को डिलीट तो कर दिया है लेकिन रोहिणी की बातें सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है. कहा जा रहा है कि रोहिणी आचार्य द्वारा लिखी हुई बातें नीतीश को सरकार से बाहर निकले का रास्ता प्रशस्त करने जा रहा है.

जेडीयू की नाराजगी थमने का नाम क्यों नही ले रही है?

दरअसल नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार रहने के बावजूद कुछ भी महत्ता पाने में कामयाब नहीं रहे पटना की पहली बैठक के बाद से ही इंडिया गठबंधन की चार और बैठकें हो चुकी हैं जिसमें नीतीश गठबंधन में हाशिए पर ही दिखे हैं. इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल ने इंडिया गठबंधन के चेयरपर्सन बनाने को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित किया था. लेकिन इस बैठक में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव चुप्पी मारकर बैठे देखे गए थे. जाहिर है ये बात नीतीश कुमार को इस कदर नागवार गुजरी थी कि चौथी बैठक खत्म होते ही नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाकर ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला कर लिया था. ये सर्व विदित है कि ललन सिंह आरजेडी के करीब जा चुके हैं वहीं नीतीश राष्ट्रीय अध्यक्ष पद थामकर पार्टी की सारी ताकतें अपनी हाथों में ले चुके हैं.

लालू और तेजस्वी के मान मनौव्वल भी नीतीश के लिए क्यों है नाकाफी ?

जेडीयू के सूत्र बताते हैं कि जेडीयू लोकसभा चुनाव से पहले ही बार्गेन करने की बेहतर स्थिति में है. इसलिए इस समय बीजेपी या आरजेडी दोनों से ज्यादा से ज्यादा बार्गेन करना जेडीयू को मुफीद दिख रहा है. जेडीयू मानती है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चाहत रखती है. वहीं आरजेडी भी लोकसभा चुनाव हर हाल में जेडीयू के साथ लड़कर अपनी स्थितियों में साल 2019 लोकसभा चुनाव की तुलना में बेहतरी चाहती है. इसलिए इस मौके को जाया किया गया तो जेडीयू अपने राजनीतिक हितों को साधने में नाकामयाब रहेगी इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है.

नीतीश बीजेपी के साथ किन शर्तों पर जाना चाह रहे हैं ?

नीतीश कुमार बिहार के लिए स्पेशल पैकेज की मांग कर रहे हैं. वहीं नीतीश कुमार चिराग पासवान को एनडीए से बाहर करने की मांग रख रहे हैं. कहा जा रहा है कि बीजेपी चिराग के मसले पर ना नुकुर कर रही है जबकि स्पेशल पैकेज को लेकर बीजेपी तैयार हो सकती है. जाहिर है स्पेशल पैकेज की घोषणा होते ही नीतीश कुमार बिहार में ये पैगाम देने में कामयाब रहेंगे कि बिहार की भलाई को देखते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए में जाने का फैसला लिया है. जाहिर है बिहार के ताजा मसले पर बातचीत के लिए बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी दिल्ली तलब हुए हैं. इसलिए माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री दौरे से पहले बिहार में बड़े फेर बदल की संभावनाएं तेज हो गई हैं.

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