ASSEMBLY ELECTION 2025 कोई दल अछूता नहीं है, जिसमें नेता का बेटा चुनावी दंगल से दूर हो. बिहार विधानसभा में एक बार फिर से इसकी झलक दिखेगी. पढ़ें
जेडीयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के पुत्र सोनू सिंह कहते हैं, “मेरी इच्छा तो निश्चित रूप से चुनाव लड़ने की है. पर यह पूरा फैसला मेरे पापा, पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करनी है.”
इसी तरह पटना कुम्हरार के विधायक अरुण सिन्हा के बेटे आशीष सिन्हा का कहना है कि, “हमने पिछले कई सालों से पटना में रूट लेवल पर काम किया है. पार्टी की हर गतिविधियों में मेरी भूमिका रही है. मेरी इच्छा ही है र्का कुम्हरार से ही मुझे मौका मिले ऐसे तो फैसला पार्टी ही करेगी.”
पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्रीरामकृपाल यादव के पुत्र अभिमन्यु यादव का कहना है कि “यह सच है कि मेरे पापा राजनीति में है लेकिन, मैंने उनसे अलग हटकर समाज सेवा किया है. कई जगहों पर पिताजी के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भी मैं सक्रिय रहा हूं. मैं आने वाले समय में चुनाव लड़ने वाला हूं. पटना के फतुहा क्षेत्र को मैंने चुना है. जहां से मैं अपनी दावेदारी पेश करूंगा.”
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के पुत्र माधव झा 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. कहते हैं “मैं भी पिछले 6 वर्षों से दरभंगा और मधुबनी जिले में पार्टी के संघटनात्मक कार्य से जुड़ा हूं. आगामी विधानसभा चुनाव में यदि पार्टी और पार्टी के आलाकमान के द्वारा चुनाव लड़ने का निर्देश मिलता है तो मैं तैयार हूं.”
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत सिंह 2024 बिहार विधानसभा के उपचुनाव में रामगढ़ सीट से चुनाव हार गए थे. आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बताया कि, “राजनीति में हार जीत लगी रहती है. हम जब से सार्वजनिक जीवन में आए हैं. तब से समाज सेवा और लोगों के बीच हमेशा जुड़े रहते हैं. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में यदि पार्टी मुझपर फिर से भरोसा करती है तो वह हर हाल में चुनाव लड़ेंगे.”

विधानसभा दंगल नेता पुत्र ठोकेंगे ताल! : मतलब साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार कई नेता पुत्र भी दंगल में कूदने वाले हैं. वैसे तो बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर बराबर चर्चा होती रही है कि राजनीति में आएंगे. हालांकि नीतीश कुमार राजनीति से परिवार को दूर रखते रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से निशांत को लेकर चर्चा हो रही है. वैसे अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन बिहार में कई नेताओं के पुत्र इस बार चुनावी दंगल में कूदने के लिए तैयार हैं. नेता भी चाहते हैं की पार्टी उनके पुत्र को टिकट दे.
वशिष्ठ नारायण के बेटे की राजनीतिक एंट्री : दिग्गज नेताओं में जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का भी नाम शामिल है. वशिष्ठ नारायण सिंह ऐसे तो पार्टी की गतिविधियों में जरूर शामिल होते हैं लेकिन राजनीतिक रूप से बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं है. वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने बेटे सोनू सिंह को राजनीति में आने की स्वीकृति दे दी है.

“मेरा बेटा राजनीति में पहले से ही आना चाहता था लेकिन मैंने उससे कहा कि जब तक मैं राजनीति में सक्रिय हूं तब तक ना आए. मेरी बात को उसने माना भी. अब मेरी सक्रियता राजनीति में उतनी नहीं है. ऐसे मे मैंने उसे राजनीति में आने की सहमति दे दी है. शाहाबाद से चुनाव लड़ सकता है अभी हमने किसी से बात नहीं की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी बोलेंगे पार्टी जो फैसला ले.”- वशिष्ठ नारायण सिंह, जेडीयू के वरिष्ठ नेता
बेटे के लिए हम कोई लॉबी नहीं करेंगे‘ : बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पटना के कुम्हार से लगातार विधायक अरुण कुमार सिन्हा भी अपने पुत्र को राजनीति में लाना चाहते हैं. अरुण सिन्हा का कहना है कि अपने बेटे के लिए हम कोई लॉबी नहीं करेंगे. अरुण सिन्हा के बेटे आशीष सिन्हा क्रिकेटर रहे हैं. पिता के लिए विधानसभा चुनाव में काम करते रहे हैं पटना विश्वविद्यालय संघ के चुनाव के अध्यक्ष पद को जीत चुके हैं और भाजयुमो में अभी सक्रिय हैं.

“हमने अपने बेटा को कह दिया है कि अपने बलबूते राजनीति में सक्रिय हो. पटना विश्वविद्यालय का चुनाव अपने बलबूते उसने लड़ा है. मेरा आशीर्वाद उसके साथ है. वैसे पार्टी जो फैसला ले अभी तो हम भी सक्रिय हैं.”- अरुण सिन्हा, विधायक, कुम्हरार
‘चुनाव का सारा काम मेरा बेटा ही करता है’ : कांग्रेस बिहार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के पुत्र माधव झा भी इस बार विधानसभा चुनाव में कूद सकते हैं. मदन मोहन झा का कहना है कि पिछले कई चुनाव में मेरे लिए सारा काम मेरा पुत्र ही कर रहा है. अब तो वह नौकरी भी छोड़ दिया है और राजनीति में सक्रिय है चुनाव लड़ना चाहता है, अब पार्टी जो फैसला ले.

“माधव झा दिल्ली में एचसीएल में काम करते थे लेकिन राजनीति में आने के लिए उन्होंने 6 साल पहले नौकरी छोड़ दी. दरभंगा में एक कोऑपरेटिव में चुनाव जीतकर डायरेक्टर बने हुए हैं. 2020 में भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन मैं प्रदेश अध्यक्ष था तो ऐसे में टिकट का सवाल ही नहीं उठता.”- मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, बिहार कांग्रेस
BJP की दूसरी पीढ़ी तैयार : बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव के पुत्र अभिमन्यु यादव भी इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. पिछले दिनों लोजपाआर में शामिल भी हुए थे. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के बेटे नितिन को लेकर भी लगातार चर्चा होती रही है. नितिन अपने पिता के लिए चुनाव में काम भी करते रहे हैं बिजनेस में भी सक्रिय है. बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के पुत्र भी राजनीति में आने के लिए तैयार हैं. लोकसभा चुनाव में पिता के लिए प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

अर्जित शाश्वत के नाम की चर्चा जोरों पर : बीजेपी के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत भी राजनीतिक दंगल में कूदने के लिए तैयार हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में अश्विनी चौबे को टिकट नहीं मिला था और उनकी नाराजगी भी दिखी थी. अब विधानसभा चुनाव में अश्विनी चौबे अपने बेटे को लड़ाना चाहते हैं. अर्जित शाश्वत, पिता के लिए लगातार राजनीति में मदद करते रहे हैं. पार्टी के कई कार्यक्रमों में उनकी सक्रियता भी दिखती रही है. कई बार विवादों में भी रहे हैं.

ओसामा को RJD उतारेगी मैदाम में ? : बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा भी इस बार विधानसभा चुनाव में उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं. पिछले दिनों आरजेडी में शामिल हुए थे. हालांकि इसको लेकर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. मां हीना शहाब भी अभी इस मसले पर कुछ कहने से बच रही हैं.
अब्दुल बारी सिद्दीकी और जगदा बाबू के बेटे का नाम : इसके अलावा राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के पुत्र भी भाग्य आजमा सकते हैं. जगदानंद सिंह के दोनों बेटे राजनीति में सक्रिय हैं. बड़ा बेटा सुधाकर सिंह सांसद हैं. वहीं विधानसभा उपचुनाव में छोटे बेटे अजीत सिंह चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में फिर से एक बार चुनावी दंगल में नजर आ सकते हैं.
JDU नेता भी इंताजार में बैठे हैं :इसके साथ ही जेडीयू के वरिष्ठ नेता हरि नारायण सिंह के पुत्र के चुनावी दंगल में कूदने की चर्चा है. हरिनारायण सिंह हरनौत के विधायक हैं और उनकी ही सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे के चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है. हरि नारायण सिंह 2020 में भी अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन नीतीश कुमार उसके लिए तैयार नहीं हुए. इसके साथ ही बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के बेटे आनंद रमन भी राजनीति में आने के लिए तैयार बैठे हैं.
‘परिवारवाद से कोई दल अछूता नहीं’ : राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है परिवारवाद को लेकर लालू पर विरोधी दल हमला करते हैं लेकिन आज कोई भी दल ऐसा नहीं है जो परिवारवाद से दूर हो. इस बार भी कई नेता पुत्रों के नाम की चर्चा हो रही है. बुराई उसमें है कि जब ऊपर से थोप दिया जाता है, सीधे मंत्री बना दिया जाता है. वरना कोई आए तो गड़बड़ी क्या है?
नेता के पुत्र चुनाव में आते हैं तो यह गलत भी नहीं है, क्योंकि आखिर में तो जनता को ही फैसला लेना है. जहां तक सफलता मिलने की बात है तो लालू प्रसाद यादव का छत्रछाया मिला तो तेजस्वी और तेज प्रताप सफल हो गए. इसलिए राजनीति में छत्रछाया मिलना भी एक बड़ी बात है. चिराग पासवान, संतोष मांझी इसके उदाहरण हैं.”- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
कई पुत्र संभाल रहे पिता की विरासत : वैसे अगर गौर से देखा जाए तो कई दिग्गज नेताओं के पुत्र बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और पुत्री मीसा भारती, रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान, जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष मांझी, जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा, जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह, शिवानन्द तिवारी के पुत्र राहुल सहित कई सक्रिय है.
कई नेता पुत्र को मिली है असफलता : हालिया चुनाव की बात करें तो 2024 लोकसभा चुनाव में भी कई नेता पुत्रों ने दांव आजमाया था. उसमें से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह भी महाराजगंज से चुनाव लड़े थे लेकिन सफलता नहीं मिली. महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी समस्तीपुर से लोकसभा का चुनाव हार गए. जहानाबाद से सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ भी विधानसभा उपचुनाव में हार गए.

