Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के नौ दिनों में आठवां और नौवां दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार 29 मार्च को पड़ने वाली महाअष्टमी (Maha Ashtami) के दिन मां महागौरी की पूजा होती है. इस दिन को दुर्गाष्टमी भी कहते हैं. माना जाता है कि अगर किसी कारणवश नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत न कर पाएं तो पहले दिन और अष्टमी या नवमी के दिन व्रत रखें. महाष्टमी (Maha Ashtami) पर मां महागौरी की पूरे विधि विधान से मंत्र पूजा और जाप करने पर पारिवारिक दिक्कतें दूर होती हैं. इसके अलावा मां की कृपा से धन के भंडारे भरे रहते हैं. इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है.
यह है मां महागैरी की कथा
एक पौराणिक कथा अनुसार महादेव भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी मां ने कठोर तपस्या की थी. इस कारण इनके शरीर का रंग काला हो जाता है. देवी की इस कठोर तपस्या से प्रसन्न हो भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं. इसके बाद भगवान शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से नहलाया. इसके बाद इनका शरीर गौर वर्ण का हो जाता हैं. कहा जाता है कि तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.,
इस विधि से करें मां महागौरी की पूजा
मां दुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा करते समय सफेद कपड़े पहनना चाहिए. देवी महागौरी की पूज करते समय कुमकुम, चंदन, रोली, मौली, अक्षत और सुगंधित मोगरे का फूल अर्पित करें. मां के भोग में मिष्ठान और फल के अलावा नारियल चढ़ाएं. इस दिन मां को प्रसन्न करने के लिए उनके खास मंत्र श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: का जाप करें. इस दिन अपने घर की छत पर मां को अति प्रिय लाल रंग की ध्वजा लगाना चाहिए.
मां महागौरी इन उपायों से होती हैं प्रसन्न
नवरात्रि की महाअष्टमी (Maha Ashtami) पर मां महागौरी को प्रसन्न करने के लिए लाल चुनरी में 5 तरह के सूखे मेवे के अलावा मीठे में बताशे और कुछ सिक्के रखकर मां को अर्पित करें. इस दिन संध्याकाल में घी का दीपक जलाते हुए 108 बार ॐ देवी महागौर्यै नमः मंत्र का जाप करें. इसके अलावा माता को लौंग की माला चढ़ाएं, इस दिन कुल देवी की भी उपासना की जाती है.
महाअष्टमी (Maha Ashtami) के दिन पूरे विधि-विधान से मां की पूजा करने से कुल और परिवार में चली आ रही परेशानियां दूर होती हैं. वहीं वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का चला आ रहा मनमुटाव भी खत्म होता है. अगर किसी के विवाह में कोई अड़चन आ रही हो तो मां महागौरी की शरण में जाने पर मां उसे दूर करती हैं.
मां महागौरी के मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
माता महागौरी स्तोत्र
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥