Uma Bharti

मेरा दिल एक हिंदू का है और मैं काशी और मथुरा में मंदिर बने-उमा भारती

MP News: बीजेपी की फायरब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि भारत का अंतिम लक्ष्य पीओके को वापस लेना है और यह देश की संसद का भी संकल्प है. इसके साथ ही उन्होंने काशी और मथुरा पर अपनी आस्था जताते हुए कहा कि उनका दिल चाहता है कि वहां मंदिर बनें. उमा ने कांग्रेस और जीतू पटवारी पर भी तीखे तंज कसे और मालेगांव ब्लास्ट से लेकर सेवानिवृत्ति की उम्र तक, हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखी.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष को घेरा
उमा भारती ने ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर कहा, “हमारा अंतिम लक्ष्य पीओके वापस लेना है. हमारा उद्देश्य तभी पूरा होगा जब हम पीओके को वापस ले लेंगे.” उन्होंने उन लोगों को भी आड़े हाथों लिया जो सेना की क्षमता पर सवाल उठाते हैं.

उमा ने कहा, “मैं उन लोगों को जवाब नहीं देना चाहती जो भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल उठाते हैं. उन्हें भारतीय सेना का सम्मान करना नहीं आता और वे राजनीति करने के भी लायक नहीं हैं. आतंकवाद एक दिन पाकिस्तान को खुद ही खत्म कर देगा. पीओके राष्ट्र का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए.”

काशी और मथुरा में मंदिर देखना चाहती हू- उमा भारती
काशी और मथुरा विवाद पर उमा भारती ने कहा, “दोनों मामले अदालत में हैं, लेकिन मेरा दिल एक हिंदू का है और मैं काशी और मथुरा में मंदिर देखना चाहती हूं. मेरा विश्वास चाहता है कि काशी और मथुरा में मंदिर हों.” उन्होंने याद दिलाया कि पूजा स्थलों से जुड़े कानून (1991) पर संसद में डिबेट के दौरान भी उन्होंने काशी और मथुरा का मुद्दा उठाया था.

कांग्रेस और जीतू पटवारी पर तंज
एएनआई को दिए इंटरव्यू में मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के शराब से जुड़े बयान पर जवाब देते हुए उमा भारती ने कहा, “उन्हें खुद नहीं पता कि वे क्या बोल रहे हैं. वे बिना सोचे समझे बोलते हैं. वे एक ‘बेचारे’ हैं. वे कांग्रेस के इकलौते नेता हैं, क्योंकि पार्टी खत्म हो चुकी है. कई कांग्रेस नेता रिटायरमेंट ले चुके हैं. नई पीढ़ी के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. और जो बीजेपी में शामिल नहीं हो पाए, वे कांग्रेस में ही पीछे छूट गए हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज की पारंपरिक शराब पर सवाल उठाना गलत है क्योंकि वह स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुँचाती और उसमें कोई दुर्व्यवहार नहीं होता.

चुनाव लड़ने की जताई इच्छा
चुनाव लड़ने के सवाल पर उमा भारती ने साफ कहा, “हाँ मैं चुनाव तब लड़ूँगी जब मुझे लगेगा कि मैं तैयार हूं. मैं प्रतिबद्धता के प्रति निष्ठावान हूं. मेरे पास जनता की ताकत है.” उन्होंने कहा कि राजनीति में ताकत पाना उनका मकसद नहीं है, बल्कि योगदान करना ही उनका असली लक्ष्य है.

रिटायरमेंट की उम्र पर दी प्रतिक्रिया
राजनीति में सेवानिवृत्ति की उम्र पर चल रही बहस पर उन्होंने कहा, “कोई भी संगठन, राजनीतिक पार्टी, संस्थान सेवानिवृत्ति की उम्र तय कर सकता है लेकिन योगदान की उम्र नहीं. योगदान की कोई उम्र नहीं होती. राजनीति एक मंच है और योगदान मेरी क्षमता है.”

उमा भारती ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पेड़ कभी अपना फल खुद नहीं खाता और नदी अपना जल खुद नहीं पीती, वैसे ही योगदान देने की क्षमता कभी खत्म नहीं होती.

मालेगांव ब्लास्ट और व्यापमं केस
2008 मालेगांव ब्लास्ट केस पर भी उमा भारती ने गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “कुछ चीजों की जांच होनी बाकी है, सबसे पहले मेरा नाम व्यापमं घोटाले में आया. 2008 मालेगांव ब्लास्ट में लोगों की जान गई. उसमें (ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह) उनके नाम क्यों जोड़े गए और असली दोषियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?. यह जांच का विषय है और असली दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.”

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