Arvind Kejriwal

MCD Mayor Election: मेयर चुनाव को लेकर सीएम केजरीवाल और एलजी के बीच छिड़ा लेटर वॉर

Delhi LG Vs CM Arvind Kejriwal: दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और एलजी वीके सक्सेना के बीच लेटर वॉर छिड़ गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शनिवार (7 जनवरी) को ‘शक्तियों के टकराव’ को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक पत्र लिखा। सीएम ने एलजी से दिल्ली नगर निगम अधिनियम में इस्तेमाल किए गए “एलजी/प्रशासक” शब्द पर अपनी आधिकारिक स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि अगर एडमिनिस्ट्रेटर का मतलब गवर्नर होगा तो चुनी हुई सरकार व्यर्थ साबित होगी।

एमसीडी सदन में शपथ ग्रहण को लेकर हंगामे के कारण मेयर के चुनाव से पहले शुक्रवार को एमसीडी की बैठक स्थगित कर दी गई थी. जिसके एक दिन बाद यानी आज अरविंद केजरीवाल ने एलजी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में सीएम केजरीवाल ने कहा, “मुझे आज आपके कार्यालय की ओर से जारी एक बयान मिला है, जिसमें कहा गया है कि चूंकि यह डीएमसी अधिनियम के संबंधित प्रावधानों में लिखा गया है कि “प्रशासक नियुक्त करेगा …”, इसलिए 10 एल्डरमैन और महापौर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी को निर्वाचित सरकार की भागीदारी के बिना आपकी ओर से सीधे नियुक्त और अधिसूचित किया गया था।”
सीएम केजरीवाल ने पत्र में क्या लिखा?

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के अनुसार, एलजी या प्रशासक तीन आरक्षित विषयों को छोड़कर सभी पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं। केजरीवाल ने लिखा कि, “अगर ऐसा होता है तो दिल्ली की चुनी हुई सरकार अप्रासंगिक हो जाएगी क्योंकि व्यावहारिक रूप से हर कानून और हर प्रावधान में, “प्रशासक/उपराज्यपाल” शब्द का इस्तेमाल किया जाता है और मंत्रिपरिषद उपराज्यपाल/प्रशासक के नाम पर काम करती है. उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों, उपराज्यपाल/प्रशासक तीन आरक्षित विषयों को छोड़कर सभी पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हुए हैं।”
उपराज्यपाल की ओर से क्या कहा गया?

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सत्या शर्मा को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सदन की बैठक के लिए पीठासीन अधिकारी (प्रोटेम स्पीकर) के तौर पर मनोनीत करने में नियमों का पालन किया और शर्मा का नाम उन छह नामों में से चुना गया, जो आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से भेजे गए थे। राजनिवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी में उनके सहयोगियों की ओर से किए जा रहे दावों के विपरीत, उपराज्यपाल ने नव-निर्वाचित एमसीडी के अंतरिम पीठासीन अधिकारी को नामित करते समय संवैधानिक प्रावधानों और अधिनियमों का निष्ठापूर्वक पालन किया। बयान में कहा गया कि वीके सक्सेना ने अचानक और अप्रत्याशित रूप से शर्मा को पीठासीन अधिकारी नामित नहीं किया।

एलजी ने आप के आरोपों को खारिज किया

इसमें कहा गया कि एमसीडी या आप सरकार ने पीठासीन अधिकारी के रूप में चुने जाने पर विचार करने के लिए पांच अन्य पार्षदों के साथ शर्मा का नाम उपराज्यपाल को भेजा गया था। शर्मा के अलावा मुकेश गोयल, प्रीति, शकीला बेगम, हेमचंद गोयल और नीमा भगत का नाम भी शामिल था। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मुकेश गोयल का नाम दिल्ली सरकार के ओर से भेजा गया था पर उन पर एमसीडी चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और मामले की जांच चल रही है।

सीएम केजरीवाल ने पहले भी लिखा था खत

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने इससे पहले शुक्रवार को भी उपराज्यपाल सक्सेना पर एमसीडी में 10 एल्डरमैन के मनोनयन और पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति में शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए पत्र लिखा था। सीएम केजरीवाल ने पत्र में कहा था कि निर्वाचित सरकार को एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करना चाहिए। यह चौंकाने वाला और दुखद है कि कैसे उपराज्यपाल ने सरकार से परामर्श किए बिना अपनी पसंद तय कर ली। उन्होंने कहा था कि पीठासीन अधिकारी के रूप में वरिष्ठतम पार्षद की नियुक्ति की परंपरा को दरकिनार किया गया और उपराज्यपाल ने पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने की निर्वाचित सरकार की शक्ति में अतिक्रमण किया।

नहीं हो पाया था मेयर का चुनाव

गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के नव निर्वाचित सदन की शुक्रवार को पहली बैठक हुई थी। इस दौरान 10 मनोनीत (एल्डरमैन) सदस्यों को पहले शपथ दिलाने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी (BJP) के सदस्य आपस में भिड़ गए थे। पार्षदों ने एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकीं और धक्कामुक्की की थी। इस हंगामें की वजह से सदन की बैठक को महापौर और उपमहापौर का चुनाव (Mayor Election) कराए बिना ही स्थगित कर दिया गया था।

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