जानलेवा हुआ मराठा आंदोलन, आरक्षण के लिए अब तक 14 ने चुनी मौत

मराठा आंदोलन अब हिंसात्मक होने के साथ-साथ जानलेवा भी होता जा रहा है, आरक्षण की मांग को लेकर युवा लगातार अपनी जान दे रहे हैं, कोई सुसाइड नोट में इसका जिक्र कर रहा है तो कोई दीवारों पर लिखकर. आंकड़ों की मानें तो अब तक तकरीबन 14 युवकों ने आरक्षण के लिए अपनी जान दे दी है, मरने वालों में 10वीं का एक छात्र भी शामिल है.

मराठा आरक्षण आंदोलन अब हिंसात्मक होता जा रहा है, प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, मनोज जरांगे पाटील के अनशन शुरू करने के बाद से लगातार इनमें तेजी आ रही है. कई गावों में लगातार भूख हड़ताल चल रही हैं तो कई जगह नारेबाजी और प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

एक ओर तो महाराष्ट्र में अनशन करके सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कई मराठा युवा आरक्षण की मांग को लेकर अपनी जान देने पर उतारू हैं. अब तक संभाजीनगर में दो, परभणी में दो, नांदेड़ में दो और लातूर, अंबाजोगाई, हिंगोली, जालना, बीड, नगर, पुणे और धाराशिव में एक-एक युवक आरक्षण की मांग को लेकर अपनी जान दे चुके हैं. पिछले डेढ़ महीनों में यह संख्या 14 तक पहुंच गई है. किसी ने सुसाइड नोट लिखा है तो किसी ने दीवार पर लिखकर कहा है- ‘मराठा आरक्षण के लिए दुनिया को अलविदा’.

मराठा आरक्षण के लिए अब तक गईं जानें

पुणे में वेंकट धोपरे ने आत्महत्या कर ली. यह कदम उसने डिप्रेशन में उठाया, क्योंकि न तो मराठा समुदाय को रिजर्वेशन मिल रहा है और न अनुकंपा के आधार पर नौकरी. उनका शव पुणे के आलंदी में इंद्रायणी नदी में मिला था.

  • एक 25 वर्षीय युवक ने ‘हम अपने गांव चलते हैं.. हमारी ओर से रामराम’ लिखकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. यह घटना अहमदनगर जिले के संगमनेर तहसील के झोले गांव में हुई. 25 साल के इस युवक का नाम सागर भाऊसाहेब था.
  • धाराशिव में कलंबा तालुका के बाबलगांव में मराठा आरक्षण के लिए एक युवक ने जहर खा लिया. 35 वर्षीय युवक सज्जन वाघमारे ने Msc तक पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन नौकरी न मिलने की वजह से वह हताश थे. <
  • हिंगोली जिले के अखाड़ा बालापुर के पास देवजाना गांव के 25 वर्षीय युवक कृष्णा कल्याणकर ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. जेब में जो नोट मिला, उसमें लिखा था कि- ‘मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान दे रहे हैं’
  • छत्रपति संभाजीनगर के अपातगांव में 28 वर्षीय गणेश कुबेर ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने सदन बोर्ड पर लिखकर कहा कि, वह ये कदम मराठा आरक्षण के लिए उठा रहे हैं. बोर्ड पर लिखा था कि ‘जब तक आरक्षण नहीं मिलता, मुझे मत जलाओ. इसी तरह जालना के अंबद में युवक सुनील कावले ने औरंगाबाद में खुदकुशी कर ली.
  • परभणी के पाथरी तहसिल के वाडी में सोमेश्वर उत्तमराव शिंदे की मौत हो गई. सोमवार 23 अक्टूबर को उसका शव गांव के एक कुएं में मिला. उनके मोबाइल फोन के पिछले कवर में एक कागज का टुकड़ा मिला, जिसमें लिखा था कि मराठा आरक्षण और लगातार बांझपन के कारण आत्महत्या कर रहे हैं. परभणी के पोखरनी में नागेश बुकाले ने आत्महत्या कर ली. वह कुएं में कूद गया था. नागेश के परिवार में मां, तीन भाई और बहनोई हैं.
  • खुदकुशी करने वालों में छात्र भी शामिल- मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए नांदेड़ जिले में दो पीड़ितों की हत्या कर दी गई. हदगांव तालुका के वडगांव के 24 वर्षीय युवक शुभम पवार ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. नायगांव तालुका के भोपला में एक स्कूली छात्र ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी. 10वीं कक्षा के छात्र 17 वर्षीय ओमकार बावन ने भी कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. कुएं के पास मिले नोट में उसने लिखा है, मेरी मां और पिता मजदूरी करके हमें पढ़ाते थे. चूंकि मैं उनकी स्थिति नहीं देख सका और मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिल रहा था, इसलिए मैं कुएं में कूदकर अपनी जान दे रहा हूं.
  • किसन माने ने लातूर के उमरगा में मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान दे दी थी. किसन मार्केटिंग में निपुण एक बहुत ही उद्यमशील युवक था. ग्रामीणों ने बताया कि वह गांव के छोटे-बड़े मेलों और साप्ताहिक बाजारों में तरह- तरह के सामान बेचता था. हालांकि, वह हमेशा मराठा आरक्षण पर जोर दिया करता था.
  • पानी की टंकी से लगा दी छलांग-अंबाजोगाई तालुका के एक छोटे से गांव गिरवली में शत्रुघ्न काशिद नाम का एक युवक रात में पानी की टंकी से कूदकर अपनी जान दे दी. करीब डेढ़ घंटे तक ग्रामीण और पुलिसकर्मी शत्रुघ्न को नीचे उतारने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग पर अड़ा ये युवक नीचे नहीं आया और 80 फीट ऊंची पानी की टंकी से छलांग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गई
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