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जानिए महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि

हिन्दू धर्म में अलग-अलग त्योहारों का अपना अलग महत्व है. हर त्योहार को किसी न किसी अलग रूप में मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक है Mahashivratri। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। मान्यतानुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और व्रत उपवास करने का विधान है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 11 मार्च 2021 को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं क्या है Mahashivratri की तिथि, पूजा विधि और पूजन का शुभ मुहूर्त।

महाशिवरात्रि की तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार, Mahashivratri का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और पार्वती माता के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च (गुरुवार) को पड़ रही है। इसलिए ये त्योहार उसी दिन मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि त्रयोदशी तिथि- 11 मार्च 2021 (गुरुवार)
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 11 मार्च, दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर
निशिता काल का समय- 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
पहला प्रहर- 11 मार्च, शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
दूसरा प्रहर- 11 मार्च, रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरा प्रहर- 11 मार्च, रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक
चौथा प्रहर- 12 मार्च, सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
शिवरात्रि व्रत पारण का समय- 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 02 मिनट तक

शिव पूजा का समय
मान्यतानुसार Mahashivratri के दिन शुभ काल के दौरान ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का सम्पूर्ण फल मिलता है। Mahashivratri
के दिन रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन इन चारों पहर पूजन करने से सभी पापों और कष्टों का निवारण होने के साथ ही घर में सुख समृद्धि भी आती है।

कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत
महाशिवरात्रि व्रत त्रयोदशी तिथि को शुरू होगा, जिसमें पूरे दिन का उपवास रखा जाएगा। Mahashivratri के दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और अपना व्रत पूरा करने से पहले भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, चतुर्दशी पर रात्रि के दौरान चार बार Mahashivratri की पूजा की जाती है। इन चार समयों को चार पहर के रूप में भी जाना जाता है और यह माना जाता है कि इन समयों के दौरान पूजा करने से व्यक्ति अपने पिछले पापों से मुक्त हो जाता है और उन्हें मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है। शिव पूजा को रात्रि के दौरान करना अनिवार्य माना जाता है और अगले दिन चतुर्दशी तिथि समाप्त होने से पहले सूर्योदय के बाद इस व्रत का पारण किया जाना चाहिए। यदि आप उपवास करते हैं तो पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें और नमक का सेवन न करें। यदि किसी वजह से नमक का सेवन करते हैं तो सेंधा नमक का सेवन करें।

कैसे करें शिव पूजन
-महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
-पूजा वाले स्थान को अच्छी तरह साफ करके सभी देवताओं को स्नान करवाएं।
-इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें।
-भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को साफ चौकी पर स्थापित करके पंचामृत से स्नान कराएं।
-शिवलिंग को भी स्नान करवाकर बेलपत्र, भांग धतूरा, फल, मिठाई, मीठा पान इत्यादि अर्पित करें।
-शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं फिर फलों का भोग लगाएं।
-पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शिव पूजन करें।
-दिन भर भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी स्तुति करें।

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