Maa Kushmanda Puja

Maa Kushmanda Puja: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की कैसे करें पूजा? जानिए विधि और महत्व

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो सृष्टि की निर्माता मानी जाती हैं. उनकी पूजा से भक्तों को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और आयु, यश, बल की प्राप्ति होती है.

मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से भक्तों के रोग, शोक और दरिद्रता दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

मां कूष्मांडा की पूजा का जीवन में महत्व
मां कूष्मांडा का महत्व यह है कि वह ब्रह्मांड की निर्माता हैं, जो सृष्टि को ऊर्जा और प्रकाश देती हैं, जिससे मनुष्य के जीवन से अंधकार दूर होता है. उनकी पूजा से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है, साथ ही सभी कष्ट और रोग भी दूर होते हैं.

वह भक्तों को मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं और उनकी उपासना भवसागर से पार होने का एक सुगम मार्ग है.

ब्रह्मांड की निर्माता
मां कूष्मांडा आदिशक्ति का वह स्वरूप हैं जिन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की.

ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत
जैसे सूर्य पृथ्वी को प्रकाशित करता है, वैसे ही मां कूष्मांडा अपनी असीम ज्योति से मनुष्य के जीवन में प्रकाश लाती हैं.

आध्यात्मिक उन्नति
उनकी भक्ति से भक्तों को आध्यात्मिक संतुष्टि और सद्भाव प्राप्त होता है.

समृद्धि और सुख: मां कूष्मांडा की पूजा से सुख-सौभाग्य, धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है.

नकारात्मकता से मुक्ति
उनके भक्त सभी रोगों और कष्टों से मुक्त हो जाते हैं.

बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि
छात्रों के लिए उनकी पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है, क्योंकि इससे बुद्धि और एकाग्रता बढ़ती है.

योग-ध्यान की देवी
मां कूष्मांडा योग और ध्यान की भी देवी हैं, जो भक्तों को शांति और संतुलन प्रदान करती हैं.

मां कूष्मांडा की पूजा का विधान शास्त्रों के अनुसार
मां कूष्मांडा की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान करें, पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें मां को फल, फूल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत और विशेष रूप से कुम्हड़ा या सफेद कुम्हड़े का भोग लगाएं.

अंत में, दीपक जलाकर मां की आरती करें और दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

स्नान और शुद्धि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वयं को शुद्ध करें.

पूजा स्थल की तैयारी
गंगाजल से पूजन स्थल और अपने घर को शुद्ध करें.

प्रतिमा स्थापना
पूजन स्थान पर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.

ध्यान और आवाहन
मां का ध्यान कर उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें.

भोग और सामग्री अर्पण
मां को सुंदर वस्त्र, लाल फूल, फल और कुमकुम, हल्दी, अक्षत, धूप व दीप अर्पित करें. मां को सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है. भोग में मिष्ठान्न, फल और नारियल चढ़ाएं, साथ ही सफेद चीजों का भोग भी लगाएं.

आरती और जाप
घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें, मां कूष्मांडा के मंत्रों का जाप करें.

पठन और क्षमा
अंत में, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, मां से अपनी किसी भी गलती के लिए क्षमा की याचना करें.

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