निठारी के उन नर पिशाचों की कहानी, जिनके गले से फिर सरक गया फांसी का फंदा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी के कथित नरपिशाचों को 13 में से 12 मामलों में फांसी की सजा रद्द कर दी है. इसके पीछे आधार बताया है कि इन वारदातों का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. इन सभी वारदातों को साल 2005 से 2006 के बीच अंजाम दिया गया था. मामले का खुलासा होने के बाद से ही यह दोनों डासना जेल में हैं.

निठारी के नर पिशाचों की वह कहानी, जिसे सुन कर कठोर हृदय वाले भी रो उठेंगे. दरअसल इन नर पिशाचों ने ना केवल मासूम बच्चियों के साथ कुकर्म, दुष्कर्म और हत्या किया था, बल्कि उनका खून भी पीया था. इन्हें गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने फांसी की सजा भ< सुना दी थी, लेकिन चश्मदीद गवाह के अभाव में हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया है. हालांकि अभी भी इनके खिलाफ एक मामले में फांसी की सजा बरकरार है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के बीचो बीच बसे गांव निठारी की डी – 5 कोठी के मालिक मोहिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली की. आज 12 मुकदमों में बरी होने के बाद दोनों बहुत खुश हैं.

इन दोनों को आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने 14 में से 12 मामलों में दोनों को मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. इन्हें गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. हाईकोर्ट में मामले की 134 दिनों तक चली सुनवाई के दौरान मुख्य बात निकल कर आई कि इन सभी मामलों में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. ऐसे में हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए इन दोनों को बरी किया है. आइए अब जान लेते हैं पूरे देश को दहला देने वाले इस सनसनीखेज हत्याकांड की पूरी कहानी.

साल 2006 में संभवत: अगस्त या सितंबर का महीना था. उस समय नोएडा प्राधिकरण की एक जेसीबी निठारी की डी-5 कोठी के पास वाले नाले की सफाई कर रही थी. इस दौरान कुछ नर कंकाल मिले थे. प्राधिकरण की टीम ने तो इसे हल्के में लिया, लेकिन इतने में खबर निठारी गांव तक पहुंच गई. काफी संख्या में लोग मौके पर जुट गए. इनमें वो लोग भी थे, जिनके बेटियां संदिग्ध परिस्थिति में लापता हो गई थीं. इन सभी लोगों ने पुलिस में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी. मामला तूल पकड़ने देख कर नोएडा पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया और चूंकि कोठी नंबर डी-5 के मालिक मोहिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप था. इसलिए इन दोनों को गिरफ्तार भी कर लिया.

इसके बाद जब नाले और कोठी की विधिवत तलाशी हुई तो एक के बाद एक कुल 15 बच्चों के नरकंकाल मिले और मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया. आखिरकार 11 जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला सीबीआई को हैंडओवर कर दिया. इसके बाद सीबीआई ने आरोपियों से पूछताछ की और 28 फरवरी और 01 मार्च 2007 को इन्हें दिल्ली में एसीएमएम की कोर्ट में अपना इकबालिया बयान दर्ज कराया. इसमें आरोपियों ने वारदात को कबूल किया था. सीबीआई का जांच में पता चला कि आरोपियों ने मासूम बच्चों को कोठी में बुलाकर उनके साथ रेप किया, फिर गला घोंटकर हत्या की. यही नही, इन बच्चों के शवों के टुकड़े किए और भगौने में पकाकर खा भी गए थे.

भूत के शक में जी रहे थे लोग

डेढ़ साल तक यह खौफनाक सिलसिला चला. लोगों को शक था कि कोठी के पास स्थित पानी की टंकी में कोई भूत है, जो बच्चों को गायब कर रहा है. दरअसल यह सभी बच्चे कोठी के पास आते ही लापता हो रहे थे. लेकिन मामला प्रकाश में आने के बाद सीबीआई ने जब दिसंबर 2006 में लापता एक बच्ची के मामले की जांच की तो पता चला कि वह आखिरी बार कोठी के अंदर गई थी, जहां से वह बाहर नहीं निकली. इस प्रकार सीबीआई ने सभी मामलों की कड़ियां जोड़ते हुए गाजियाबाद अदालत में कुल 16 मामलों की चार्जशीट पेश की.

रिंपा हलधर केस में फांसी बरकरार

इनमें से रिंपा हलदर नामक एक लड़की की साल 2005 में हुई हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की पहली सजा सुनाई थी. इस मामले में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन उन्हें कहीं भी राहत नहीं मिली और यह सजा अभी भी बरकरार है. वहीं गाजियाबाद की कोर्ट ने सुरेंद्र कोली के मामले को सुनते हुए उसे सीरियल किलर करार दिया था. कहा था कि ऐसे अपराधी के प्रति दया नहीं दिखाई जा सकती. अब तक कोली को लोवर कोर्ट से 13 मामलों में तथा पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है. हालांकि इनमें से 12 मामलों में अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है.

2014 में जारी हुआ था डेथ वारंट

सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाने के बाद सितंबर 2014 में इनके खिलाफ डेथ वारंट जारी हो गया था. गाजियाबाद की डासना जेल में बंद इन नरपिशाचों को फांसी के लिए मेरठ जेल ले जाने की तैयारी हो रही थी. संयोग से जिस तिथि के लिए वारंट जारी हुआ था, उस दिन इतवार था. ऐसे में उस दिन फांसी टल गई और आज तक टलती ही जा रही है.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1