महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा सरकार की वापसी के बाद अब झारखंड में चुनाव की तारीखों की घोषणा का पल-पल इंतजार पक्ष-पक्ष बड़ी शिद्दत से कर रहा है। सत्ता पक्ष भाजपा जहां इस बार मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुआई में एक बार फिर से चुनावी मैदान में जाने को बेकरार है। वहीं विपक्ष की ओर से तैयारी की बात तो खूब की जा रही है, लेकिन अब तक किसी चेहरे पर दांव नहीं लगाया गया है। भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव के नाम पर बनने वाले महागठबंधन को लेकर तमाम दल एक-दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं। अधिक से अधिक सीटें पाने की लालसा भी नेताओं के भाषणों में खुलकर स्पष्ट हो रही है।
झारखंड के राजनीतिक परिदृश्यों पर नजर डालें तो ताजा सूरत-ए-हाल बता रही है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं है। 81 सीटों वाले झारखंड विधानसभा के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल के तौर पर JMM बीसियों बार 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी कर चुका है। जबकि कांग्रेस भी 35 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुका है। बाबूलाल ने तो सरकार बनने पर छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने तक की घोषणा कर दी है। छोटे दल RJD और वामपंथी पार्टियां भी उन्हें किसी लिहाज से कमतर आंकने की भूल नहीं करने की नसीहत दे चुके हैं। ऐसे में महागठबंधन में अभी गांठ ही गांठ नजर आ रहा है, यह कोई नहीं जानता कि ये गांठें कब खुलेंगी।
इन दलों के बीच इस बात की भी शंका की जा रही है कि जीतने के बाद भाजपा से कौन सी पार्टी समझौता कर सकती है। कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों ने अब तक कभी भी भाजपा से समझौता नहीं किया है। जबकि JMM सरकार गठन के लिए बीजेपी से सांठ-गांठ कर चुका है। बाबूलाल की पार्टी JVM के विधायक तो लगातार दो बार अपनी पार्टी छोड़कर BJP में शामिल हो गए।
इस लिहाज से भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा रोकने के नाम पर बनने वाला महागठबंधन आकार लेने से पहले ही धराशायी होता दिख रहा है। झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद और वामपंथी पार्टियों को मिलाकर पांच हिस्से में 81 सीटें बंटनी है। ऐसे में बढ़ी-चढ़ी दावेदारी के चलते झाविमो के खाते में देने को कुछ नहीं बच रहा। झामुमो और कांग्रेस को अपने हिस्से की सीटें कम कर झाविमो को महागठबंधन में शामिल करने का रास्ता बचा है। हालांकि, कांग्रेस और झामुमो इसके लिए तैयार नहीं दिख रहा। संभव है कि पांच में एक या दो पार्टी महागठबंधन से बाहर चला जाए।