झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 की घोषणा से पहले माहौल पूरा गर्म हो चूका है, राजनीतिक तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्तारुढ़ भाजपा के नेता मुख्यमंत्री रघुवर दास को कानूनी कार्रवाई की नोटिस देकर सियासी तपिश बढ़ा दी है। बदलाव यात्रा पर निकले हेमंत ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों खासकर भाजपा को इस नोटिस के जरिये यह संदेश दिया है कि किसी भी सूरत में वे भाजपा को नहीं बख्शेंगे।
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच जहां अभी विपक्षी दलों के महागठबंधन की रूप-रेखा तय नहीं हो पायी है, वहीं कांग्रेस की ओर से बार-बार हेमंत सोरेन के नेता की दावेदारी को खारिज किया जाना भी उन्हें खूब अखर रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव कई बार सार्वजनिक मंच पर विपक्षी महागठबंधन के नेता की उनकी दावेदारी को खारिज कर चुके हैं। इस कड़ी में हेमंत सोरेन ने बीते दिन हड़ताल पर चल रहीं आंगनबाड़ी सेविकाओं से मिलकर सरकार को जमकर कोसा और इस बार चुनाव में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प दर्शाया।
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव लीगल नोटिस पर पलटवार करते हुए कहते हैं कि वे जनता को यह क्यों नहीं बताते कि उनके रवि केजरीवाल से क्या संबंध हैं। आदिवासी जमीन से जुड़े सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सबसे ज्यादा उल्लंघन हेमंत सोरेन के परिवार ने ही किया है। आरोप लगते हुए उनसे पूछा की हेमंत और उनके परिवार ने राज्य के अलग-अलग जिलों में जो जमीनें खरीदी हैं, उसके लिए पैसा कहां से आया। बीजेपी की ओर से हेमंत सोरेन और उनके परिवार के नाम संपत्ति का पूरा ब्योरा भी सार्वजनिक किया गया। भाजपा ने जल्द ही सोरेन परिवार की परिसंपत्तियों की जांच कराने की बात कही है।
उनके ताजा बयानों का मतलब निकालें तो कांग्रेस का मकसद भले ही किसी भी सूरत में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकना या भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकना हो, लेकिन वह कुछ मुद्दों पर जल्द समझाैता के मूड में नजर नहीं आ रही है। और हेमंत सोरेन के लिए रह और भी कठिन होती जा रही है।