भागलपुर जिले भी बर्ड फ्लू के रिस्क जोन में है। इसलिए पशुपालन विभाग ने अलर्ट किया है। झारखंड से सटे जिले की सीमा में लगातार सैम्पलिंग करने और जांच कराने का निर्देश दिया गया है। मुर्गी फॉर्म से स्थानीय पशुपालन अधिकारियों ने सीरम सैम्पलिंग शुरू कर दिया है। सीरम जांच के लिए कोलकाता स्थित लैब में भेजा जा रहा है।
जिला कुक्कुट पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि भागलपुर से सटे झारखंड के कई जिलों में बर्ड फ्लू के मामले मिले हैं। इसलिए पशुपालन विभाग अलर्ट पर है। खासकर वैसी जगहों पर विशेष चौकसी बरती जा रही है जहां झारखंड क्षेत्र से चूजे मंगाये जाते हैं। त्वरित जांच के लिए सैम्पल सीधे कोलाकता स्थित लैब में भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि कोई मुर्गा बर्ड फ्लू से प्रभावित था या नहीं। उन्होंने बताया कि कौवे और कबूतरों में भी बर्ड फ्लू के लक्षण पाये जा सकते हैं लेकिन पक्षियों में बर्ड फ्लू से मिलते-जुलते लक्षण वाली दूसरी बीमारी रानीखेत भी है जिसे बोलचाल की भाषा में टुनकी बीमारी कहते हैं। पिछले साल इसी बीमारी से कई कौवे एवं मुर्गे-मुर्गियों की मौत हुई थी।
डॉ. अनिल ने बताया कि अभी किसी पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गे या चूजे के मरने की सूचना नहीं मिली है। बावजूद इसके पूरे जिले में बर्ड फ्लू से बचाव के लिए पक्षी पालने और पॉल्ट्री फॉर्म चलाने वालों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पशुपालन विभाग के अधिकारी हर जगह जाएंगे और बचाव के उपाय बताएंगे। उन्होंने आमलोगों से भी अपील की है कि अगर कहीं पक्षी मरे तो इसकी सूचना पशुपालन विभाग के अधिकारी को जरूर दें।
मुर्गों में होते हैं ये लक्षण
- मुर्गे के कलगी (फूल) का नीलापन हो जाना
- पंजा में नीलापन या रक्तस्राव
- चेहरे एवं गर्दन में सूजन
- आंख से अत्यधिक पानी स्राव
- हरा और पतला मल त्याग
बर्ड फ्लू का वायरस 70 डिग्री सेल्सियस पर नष्ट हो जाता है। इसलिए मांस या अंडा खाएं भी तो पूरी तरह से पका हुआ होना चाहिए। अधपका अंडा या मुर्गे का मांस खाना बर्ड फ्लू को आमंत्रण देना है। खासकर वैसा अंडा नहीं खाना चाहिए जिसका बाहरी कठोर परत लुंज-पुंज रहे।

