मोदी सरकार के लिए वक्फ बिल को पास कराने में नीतीश कुमार की जेडीयू से लेकर चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जयंत चौधरी की आरएलडी, चिराग पासवान की एलजेपी और जीतनराम मांझी की हम पार्टी का अहम रोल रहा. ऐसे में मुस्लिम समुदाय के बीच भारी असंतोष है, जिसका साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है, जानते हैं आखिर क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स?
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया है. वक्फ बिल को कानून शक्ल अख्तियार करने में बस अब एक कदम की दूरी है. वक्फ बिल को संसद की मंजूरी मिल गई और अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा. मुस्लिम समाज से जुड़ा होने के चलते वक्फ संशोधन बिल को संसद से पास कराना बीजेपी को आसान नहीं था, लेकिन मोदी सरकार ने अपने गठबंधन के सहयोगी दलों के सहारे सारी अड़चनों को पार करते हुए बहुमत के साथ बिल को पास कराने में कामयाब रही है.
मोदी सरकार के लिए वक्फ बिल को पास कराने में नीतीश कुमार की जेडीयू से लेकर चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जयंत चौधरी की आरएलडी, चिराग पासवान की एलजेपी और जीतनराम मांझी की हम पार्टी का अहम रोल रहा था. लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ बिल के वोटिंग पैटर्न को देखें तो साफ है कि अगर बीजेपी को अपने सहयोगियों का साथ न मिला होता तो बिल को पास कराना आसान नहीं था. वक्फ बिल के समर्थन करने का पॉलिटिकल साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है, जेडीयू से लेकर आरएलडी से मुस्लिम समीकरण गड़बड़ाता नजर आ रहा है.
वक्फ बिल के समर्थन का साइड इफेक्ट
वक्फ संशोधन बिल पर समर्थन करने के चलते मुस्लिम सियासत गरमाई गई है. जेडीयू के नेताओं ने बगावत का झंडा उठा लिया है. जेडीयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी अलीग, दिलशान राईन और मोहम्मद कासिम अंसारी ने वक्फ बिल पर जेडीयू के समर्थन करने के चलते पार्टी छोड़ दी है. इन नेताओं ने कहा कि जेडीयू ने लाखों मुसलमानों का भरोसा तोड़ा है. यही नहीं जेडीयू के पूर्व एमएलसी और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने वक्फ बिल पर जेडीयू के समर्थन करने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि अब कम्युनल और सेक्युलर में कोई फर्क नहीं रह गया है. बीजेपी की सरकार हमेशा से मुसलमानों के खिलाफ काम करती है. इस वक्फ बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की जमीन को छीनने की सोची-समझी रणनीति है. वक्फ के पास जो जमीन है, उससे मुसलमानों की भलाई के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं लेकिन अब सरकार की उस पर भी नजर है. ऐसे में वक्फ बिल को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. बलियावी ने कहा कि हमने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को वक्फ से जुड़े सुझाव दिए थे, लेकिन संसद में जिस तरह सभी ने अपनी बातें रखी, उससे सभी लोंगो के असली चेहरे सबसे सामने आ गए हैं.
जेडीयू नेता और बिहार में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम आवाम में गुस्सा है. बिहार में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, जो जेडीयू नेता भी हैं, उनका कहना है कि बिल का समर्थन करने से जो मुस्लिम समाज नाराज है, उसे नीतीश कुमार को दूर करना होगा. इसी तरह आरएलडी के स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने भी वक्फ बिल पर समर्थन करने के चलते नाराज माने जा रहे हैं, जिसके चलते कुछ जगह पर पार्टी छोड़ने की बात भी सामने आ रही. हापुड़ के जिला संगठन से कई मुस्लिम नेताओं ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है.
नीतीश-नायडू-चिराग-जयंत को चुनौती
असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान, चंद्रबाबू नायडू और जयंत चौधरी पर निशाना साधा है. ओवैसी ने सभी नेताओं को चुनौती दे डाली है. उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि मुस्लिम चारों को कभी माफी नहीं करेगा, क्योंकि उन्होंने मुस्लिम विरोध वक्फ बिल पर समर्थन किया है. हमारी शरीयत पर हमला करने की इजाजत बीजेपी को दे रहे हो, हम कभी माफ नहीं करेंगे. ओवैसी की तरह कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने राज्यसभा में वक्फ बिल पर बोलते हुए कहा कि बिल का साथ देने वाले नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान, जयंत चौधरी, एचडी देवेगौड़ा, जीतन राम मांझी पर निशाना साधा और मुस्लिम विरोधी कठघरे में खड़ी करने की कवायद की.
मुस्लिम विरोधी कठघरे में खड़े करने का दांव
बीजेपी को भले ही मुस्लिम वोटों की परवाह न हो, लेकिन टीडीपी, जेडीयू, आरएलडी और चिराग पासवान की एलजेपी को मुस्लिम वोट की दरकार हमेशा रहती है. बिहार में मुस्लिम 17 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 9 फीसदी और यूपी में 22 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. इन तीनों ही राज्यों में मुस्लिम वोटर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. वक्फ बिल के विरोध में मुस्लिम संगठनों ने नीतीश कुमार से लेकर चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जयंत चौधरी सहित एनडीए के उन सहयोगी दलों को निशाने पर ले लिया है.
विपक्ष अब बीजेपी की सहयोगी दलों को मुस्लिम विरोधी कठघरे में खड़ी करने की कवायद में जुट गया है. विपक्ष और मुस्लिम समाज भी मानता है कि ये नेता केंद्र सरकार में अपने संख्या बल के आधार पर काफी दमखम रखते हैं. ये अगर चाहें तो संसद में वक्फ बिल को पास होने से रोक सकते थे. अगर ये अल्पसंख्यकों के हितैषी होते तो संसद में बिल का विरोध करना चाहिए था और उसे पास होने से रोकना चाहिए था. लेकिन नीतीश से लेकर नायडू और चिराग पासवान तक ने मुस्लिम समाज की कोई भी परवाह नहीं किया और बिल को आसानी से पास होने दिया. बीजेपी का साथ ये नहीं देते तो मोदी सरकार कभी बिल पास नहीं करा पाती.
मुस्लिम समीकरण का बिगड़ न जाए गेम
चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी से लेकर नीतीश कुमार की जेडीयू, जयंत चौधरी की आरएलडी और चिराग पासवान की एलजेपी जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों द्वारा विवादास्प वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन हासिल कर सियासी हलचल मचा दी है. परंपरागत रूप से टीडीपी, जेडीयू और आरएलडी जैसे दलों को मुस्लिम समर्थन पर बहुत ज्यादा निर्भर रहना पड़ता. इसके चलते ही मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी अलग रुख अपनाए रखती थी, लेकिन वक्फ विधेयक पर मोदी सरकार के साथ खड़े हुए हैं. इस तरह मुस्लिम समुदाय का मानना है कि मोदी सरकार वक्फ बिल को पास कराने में कामयाब हुई है तो वो अपने दम पर नहीं बल्कि नीतीश, नायडू, जयंत और चिराग के चलते. इस तरह से मुस्लिम समुदाय अगर नाराज होता है तो फिर बीजेपी के सहयोगी दलों का गेम गड़बड़ा सकता है.
नीतीश से लेकर जयंत तक की चिंता
बिहार में 5 महीने के बाद विधानसभा चुनाव होना है. वक्फ बिल को आरजेडी से लेकर कांग्रेस तक अपना हथियार बनाने में जुट गई है. असदुद्दीन ओवैसी भी इसको लेकर एनडीए गठबंधन को सबक सिखाने की तैयारी में हैं. विपक्षी दलों से लेकर मुस्लिम संगठन तक यह बताने में जुटे हैं कि मोदी सरकार का मकसद सिर्फ मुसलमानों से नफरत फैलाना और हिंदुत्व की विचारधारा लागू करना है. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार पहले ही चुनौतियों से जूझ रहे हैं तो आरएलडी के लिए चिंता बढ़ गई है. बीजेपी के साथ होने के चलते मुस्लिम पहले से ही नाराज है और अब वक्फ पर समर्थन करके अपना मुस्लिम समीकरण बिगाड़ लिया है.
ओवैसी बिहार की जनता के सामने वक्फ बिल के खिलाफ जनता के पास जाएंगे और उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे. वैसे में नीतीश और चिराग के लिए बिहा चुनाव में ओवैसी बड़ी परेशानी बन सकते हैं. वक्फ बिल के विरोध में मुस्लिम संगठनों ने नीतीश कुमार से लेकर चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जयंत चौधरी सहित एनडीए के उन सहयोगी दलों को निशाने पर ले लिया है. रमजान के महीने में मुस्लिम संगठन ने बीजेपी के सहयोगी दलों की रोजा इफ्तार पार्टी का बॉयकाट तक करके दबाव बनाने की कोशिश की और अब खुलकर विरोध में उतर गए हैं. ऐसे में देखना है कि मुस्लिम समीकरण को साधने की कवायद बीजेपी के सहयोगी कैसे करते हैं?

