Janmashtami 2026: भगवान कृष्ण, हिन्दु धर्म के सर्वाधिक लोकप्रिय देवों में से एक हैं. श्रीकृष्ण के भक्तों को जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि इसी दिन बाल गोपाल ने जन्म लिया था. मान्यता है कि जो लोग जन्माष्टमी का व्रत रखता हें उनके सारे दुख दूर होते हैं.
नववर्ष में जन्माष्टमी 4 सितंबर 2026 को है. ये श्रीकृष्ण का 5253वां जन्मोत्सव है. जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ आस्था का ही नहीं बल्कि भक्ति और प्रेम का पर्व भी है. जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त और सभी जानकारी यहां देखें.
जन्माष्टमी 2025 मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 4 सितंबर 2026 को सुबह 2.25 पर शुरू होगी और अगले दिन 5 सितंबर को सुबह 12.13 पर समाप्त होगी.
जन्माष्टमी निशिता पूजा का समय – रात 11.57 – सुबह 12.43, 5 सितंबर
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – 4 सितंबर 2026, सुबह 12:29
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 4 सितम्बर 2026, दोपहर 11:04
कृष्ण जन्माष्टमी 2026 व्रत पारण समय
धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय
पारण समय – सुबह 06:01, सितम्बर 05 के बाद
वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय
पारण समय – देर रात 12:43, 5 सितंबर के बाद
जन्माष्टमी व्रत की सही विधि
एकादशी उपवास के दौरान पालन किये जाने वाले सभी नियम जन्माष्टमी उपवास के दौरान भी पालन किये जाने चाहिए. जन्माष्टमी के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिए. जन्माष्टमी का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर तोड़ा जाता है जिसे जन्माष्टमी के पारण समय से जाना जाता है.
जन्माष्टी की रात क्या करें
जन्माष्टमी की रात 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है. इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग अर्पित करते है, उन्हें झूला झुलाया जाता है.
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्॥ मंत्र का जाप कर उत्सव मनाया जाता है.

