इमरजेंसी में जेटली ने बिताए 19 महीने जेल में, जेपी आंदोलन में थी सक्रियता

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को भाजपा पार्टी और मोदी सरकार में सबसे तेज तर्रार नेताओं में माना जाता था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्‍त, शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने 12:07 बजे अंतिम सांस ली। वे 9 अगस्‍त को एम्‍स में भर्ती किए गए थे। जब भी पार्टी या सरकार पर कोई संकट आता था तो उसे दूर करने में उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका होती थी। उन्हें विशिष्ट वाकपटुता का कौशल और किसी विषय में गहन अनुसंधान के बाद बोलने का श्रेय दिया जाता था। यह भी माना जाता है कि 2013 में भाजपा के पीएम पद के उम्‍मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी की घोषणा हुई, जिसमें अरुण जेटली की प्रमुख भूमिका रही।

जेपी आंदोलन के दौरान जनसभा को सम्बोधित करते हुए अरुण जेटली

2014 में मोदी सरकार बनने के कुछ समय बाद रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी अस्थायी रूप से सौंपा गया। 2014 से 2019 तक वे वित्तमंत्री रहे। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया, तब उन्हें उद्योग एवं वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। अरुण जेटली ने छात्र राजनीति के समय से कई आंदोलनों में भाग लेते आए हैं। आइये डालते हैं उनके राजनीतिक जीवन पर एक नजर।
अरुण जेटली ने नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से 1957-69 तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्‍नातक की पढ़ाई की और दिल्‍ली विश्‍वविद्वालय से 1977 में लॉ की डिग्री ली। पढ़ाई के दौरान जेटली को अकादमिक और पाठ्येतर क्रियाकलापों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई सम्मान मिले। डीयू में पढ़ाई के दौरान वे 1974 में डीयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। जेटली सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर भी रह चुके हैं।

अरुण जेटली दिल्ली यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े और 1974 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इमरजेंसी (1975-1977) के दौरान जेटली को मीसा के तहत 19 महीना जेल में भी काटना पड़ा। राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन में भी वो प्रमुख नेताओं में थे। जयप्रकाश नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र और युवा संगठन समिति का संयोजक नियुक्त किया था। वो नागरिक अधिकार आंदोलन में भी सक्रिय रहे और सतीश झा और स्मिता कोठारी के साथ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बुलेटिन की शुरुआत की। जेल से रिहा होने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए।

1991 से ही अरुण जेटली भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1999 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बना दिया गया। एनडीए सरकार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। वे लंबे समय तक राज्‍यसभा के नेता प्रतिपक्ष थे। उनके भाषणों का पक्ष-विपक्ष हर कोई कायल था।

2014 में उन्‍होंने अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। यहां पर उनके मुकाबले में कैप्‍टन अमरिंटर सिंह चुनावी मैदान में थे। देश में मोदी लहर होने के बाद भी उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन विशिष्‍ट प्रतिभा को देखते हुए उन्‍हें वित्‍त मंत्री बनाया गया। इस दौरान कई महत्‍वपूर्ण कार्य किए।  

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