ब्रिटेन और फ्रांस जैसे बड़े यूरोपीय देशों की ओर से फिलिस्तीन को मान्यता दे दी गई है. इस कदम से जहां मिडिल ईस्ट के देश खुश हैं तो इटली में माहौल गरमा गया है. प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की दक्षिणपंथी सरकार ने फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, जिसके खिलाफ देशभर में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. सोमवार को मिलान, रोम, वेनिस, नेपल्स और जेनोआ समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं. ट्रेड यूनियनों ने ‘लेट्स ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम से हड़ताल का आह्वान किया, जिसमें गाजा में हो रही हिंसा और हजारों मौतों के खिलाफ आवाज उठाई गई.
मिलान के सेंट्रल स्टेशन पर हालात सबसे ज्यादा बिगड़े. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर कुर्सियां और डंडे फेंके, जबकि पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. इसमें 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए और 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया. डॉकवर्कर्स (बंदरगाह मजदूरों) ने इजरायल को हथियार भेजने का विरोध करते हुए कई बंदरगाहों को ब्लॉक कर दिया. वेनिस में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वॉटर कैनन का सहारा लेना पड़ा. जेनोआ, लिवोर्नो और ट्रिएस्ट के बंदरगाहों पर भी विरोध-प्रदर्शन हुए.
सड़कों और ट्रेनों पर कब्जा
रोम में हजारों लोगों ने रेलवे स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया और बाद में मुख्य राजमार्ग को रोक दिया. नेपल्स में भीड़ रेलवे स्टेशन में घुस गई और ट्रैक पर बैठ गई, जिससे ट्रेन सेवाएं बाधित हुईं. बोलोनिया में प्रदर्शनकारियों ने हाइवे रोक दिया, जिन्हें पुलिस ने वॉटर कैनन से हटाया. प्रधानमंत्री मेलोनी पर विपक्ष का दबाव लगातार बढ़ रहा है. हालांकि, उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि ‘मिलान और अन्य शहरों से आई तस्वीरें शर्मनाक हैं. यह हिंसा गाजा के लोगों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाएगी, बल्कि इटली के नागरिकों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा.’
फिलिस्तीन को मान्यता देने से इनकार
मेलोनी ने फिलहाल फिलिस्तीन को मान्यता देने से इनकार किया है. उनका तर्क है कि ‘ऐसे राज्य को मान्यता देना जो अस्तित्व में ही नहीं है, प्रतिकूल होगा.’ लेकिन वामपंथी दल और यूनियनें इस फैसले से बेहद नाराज हैं.
यह प्रदर्शन ऐसे समय पर हो रहे हैं जब ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता दी है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी कई देशों ने इस दिशा में समर्थन जताया है. हालांकि इस कारण मिलान में मेट्रो लाइन बंद रही और तूरिन व बोलोनिया में छात्रों ने यूनिवर्सिटी लेक्चर हॉल ब्लॉक कर दिए. पूरे देश में सार्वजनिक परिवहन और सेवाएं बाधित रहीं.