कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन को लेकर फिलहाल किसी जल्दबाजी में नहीं है. वो राज्यवार गठबंधन के फैसले के मूड में है. कांग्रेस समय आने पर यूपी में अखिलेश यादव के साथ सम्मानजनक गठबंधन के लिए तैयार है. फिलहाल वो गठबंधन की कोई बैठक बुलाने की जरूरत नहीं समझ रही है.
इंडिया गठबंधन के साथी होने के बावजूद दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ी. परिणाम ये रहा कि आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ. नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन के दलों ने सवाल खड़े किए. इस बीच अब सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन को लेकर फिलहाल किसी जल्दबाजी में नहीं है. वो राज्यवार गठबंधन के फैसले के मूड में है.
दिल्ली के बाद अब बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां पहले से राजद के साथ गठबंधन है. असम में भी छोटे दलों के साथ पहले से ही कांग्रेस का गठबंधन है. कांग्रेस समय आने पर यूपी में अखिलेश यादव के साथ सम्मानजनक गठबंधन के लिए तैयार है. फिलहाल कांग्रेस इंडिया गठबंधन की कोई बैठक बुलाने की जरूरत नहीं समझ रही है.
गठबंधन के दलों के साथ सामंजस्य बनाने की कोशिश
गोवा, गुजरात, उत्तराखंड, एमपी जैसे तमाम राज्यों में आम आदमी पार्टी ने सिर्फ कांग्रेस का नुकसान किया. इसके बाद दिल्ली में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ी, जिसमें आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान हुआ और सत्ता से बेदखल हो गई है. अब दिल्ली चुनाव को लेकर कांग्रेस पर तोहमत न लगाई जाए, इसलिए फिलहाल सिर्फ मुद्दों पर बात करके संसद में इंडिया गठबंधन के दलों के साथ सामंजस्य बनाने की कोशिश रहेगी.
अरविंद केजरीवाल से भी सवाल पूछे जाने चाहिए थे
कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस हमेशा सभी को सहमति से साथ लाने की कोशिश करती है. इंडिया गठबंधन के दलों को एक साथ बैठकर तय करना चाहिए कि वो आगे चुनाव कैसे लड़ेंगे. सभी दलों को भ्रम की स्थिति को दूर करना चाहिए. आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल से भी सवाल पूछे जाने चाहिए थे, जब उन्होंने हरियाणा, गोवा, गुजरात और अन्य जगह कांग्रेस के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे.
सभी को तय करना होगा कि चुनाव कैसे लड़ेंगे
सिब्बल ने कहा कि जब बिहार में चुनाव हुए और कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो आरजेडी ने कह दिया कि वो कांग्रेस की वजह से सत्ता में नहीं आ सकी. उन्होंने कहा कि सभी को तय करना होगा कि चुनाव कैसे लड़ेंगे. बीजेपी के लिए प्लस पॉइंट ये है कि उसके पास एक ही कमान है. इसका उसे फायदा मिलता है. यूपी में कांग्रेस ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और इससे फायदा मिला. तमिलनाडु में भी ऐसा ही हुआ. इसको देखते हुए आपस में चर्चा करनी चाहिए कि कैसे आगे बढ़ना है.

