Bihar Indefinite Strike

इस राज्य में 25 अगस्त से होगी प्राइवेट बस मालिकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, ये है वजह?

Bihar News: पटना के बैरिया बस स्टैंड, गांधी मैदान बस स्टैंड के साथ-साथ सभी जिलों में स्थापित बस स्टैंड से चलने वाली प्राइवेट बस मालिकों ने आगामी 25 अगस्त से चक्का जाम कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय ले लिया है. बस मालिकों ने परिवहन विभाग पर मनमाने रवैये का आरोप लगाया है, जिस कारण समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं.

मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन की बैठक संपन्न
इसके लिए शनिवार नौ अगस्त को बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन की बैठक हुई थी, जिसमे पूरे बिहार से प्राइवेट बसों के संचालक प्रतिनिधि के अलावा सभी सेक्टर के चालक प्रतिनिधि शामिल हुए थे. बैठक में सभी प्रतिनिधियों ने परिवहन विभाग के मनमाने रवैये के कारण उत्पन्न समस्याओं पर अपने विचार रखे. अंत में 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया.

बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर प्रसाद सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हड़ताल पर जाने से पहले हमलोगों ने मुख्यमंत्री समेत सभी सम्बंधित पदाधिकारियों को ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगों से अवगत कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए चार सदस्यी कमिटी बनाई गई है. इस कमिटी में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन बिहार के महासचिव राजकुमार झा के अलावा बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के चन्दन कुमार सिंह, सुधीर कुमार एवं मुन्ना कुमार शामिल हैं.

ये कमिटी सोमवार 11 अगस्त को मुख्यमंत्री समेत सभी पदाधिकारियों को ज्ञापन सौपेंगी. इसके बाद भी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो 25 अगस्त से पूरे राज्य में अनिश्चितकालीन चक्का जाम किया जाएगा और इसकी सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी. उन्होंने बताया कि हमारी पांच प्रमुख समस्या है. इनमें पहला है कि पुलिस के जरिए अनावश्यक रूप से फोटो खींच कर फाइन काटना, यहां तक कि जो गाड़ी रोड में नहीं चल रही है उसका भी चालान घर बैठे मोबाइल पर भेज दिया जा रहा है. दूसरा यह है कि RTA बोर्ड में परमिट के नवीनीकरण में 6 महीने का समय लिया जाता है एवं उस पर फाइन भी लिया जाता है.

प्राइवेट बसों को स्कूल परिचालन के लिए अनुमती की मांग
तीसरा यह कि वाहन मालिक को परेशान करने एवं नाजायज तरीके से पैसा वसूलने के नियत से परमिट प्रत्यर्पण में 6 माह से 1 साल तक का समय लिया जाता है. चौथी समस्या है कि परमिट स्वीकृति के बाद एक सप्ताह के अंदर परमिट वाहन मालिक के पास डाक के जरिए भेजने का नियम है, लेकिन नाजायज पैसे की लालच में कार्यालय 2 महीने से 6 महीने तक परेशान करता है. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को अविलंब दूर करने समेत पांचवी मांग है कि पूरे बिहार में स्कूल परिचालन के लिए प्राइवेट बसों को अनुमती मिले और अंतर्राज्यीय मार्गों पर प्राइवेट बसों का परिचालन सुनिश्चित हो.

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