delta and Delta Plus Variant

देश के कितने राज्‍यों में अब तक हुई है Delta Plus Variant की पुष्टि, WHO ने बताया है सबसे घातक

भारत में जहां कोरोना महामारी की दूसरी लहर की रफ्तार अब कम होती दिखाई दे रही है वहीं इस वायरस के Delta Variant के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आपको बता दें कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की लिस्‍ट में शामिल किया है। हालांकि भारत ऐसा नहीं मानता है। हाल ही में इसको लेकर नीति आयोग के सदस्‍य डॉक्‍टर वीके पॉल ने कहा था कि सरकार देश में इसकी इसकी संभावित मौजूदगी पर लगातार निगाह बनाए हुए है। उन्‍होंने ये भी कहा था कि महामारी की रोकथाम के लिए सभी जरूरी उपाय तेजी से किए जा रहे हैं।

आपको बता दें कि Delta Variant को AY.1 वैरिएंट या B.1.617.2.1 नाम से भी जाना जाता है। डेल्‍टा वैरिएंट में भी अब बदलाव आ चुका है जो डेल्‍टा प्‍लस के रूप में सामने आया है। नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल के मुताबिक इस वैरिएंट के मामले तमिलनाडु, पंजाब, महाराष्‍ट्र और मध्‍यप्रदेश में सामने आ चुके हैं। एनसीडीसी के मुताबिक INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomic Consortia) इसके बारे में जानकारी हासिल करने में लगा हुआ है। एनसीडीसी का ये भी कहना है कि यूरोप में ये वैरिएंट मार्च में ही सामने आ चुका था लेकिन लोगों के बीच इसकी उपस्थिति जून में देखने को मिली है।


देश के विभिन्‍न राज्‍यों में इसकी उपस्थिति की बात करें तो महाराष्‍ट्र में 21 जून 2021 तक डेलटा प्‍लस वैरिएंट के करीब 21 मामले सामने आ चुके थे। इनमें से 9 मामले जलगांव, 7 मामले मुंबई और एक-एक मामला सिंधुदुर्ग, ठाणे और पालघर में सामने आया था। इसको देखते हुए सरकार ने हर जिले से करीब 100 सैंपल लिए हैं जिसको आगे जांच के लिए सीएसआईआर भेजा जाएगा। इनकी जिनोम सिक्‍वेंसिंग के लिए इन सैंपल को इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक इंटीग्रेटिव बायोलॉजी भी भेजा जाएगा। मई के बाद से सरकार इस तरह से अबतक 7500 सैपल्‍स ले चुकी है जिनमें से 21 में ही ये वैरिएंट मिला है। इसका राज्‍य में पहला मामला रत्‍नागिरी में मई में सामने आया था। यहां से लिए गए 50 सैंपल की जांच में तीन में ये वैरिएंट मिला था।


इसी तरह से केरल में अब तक पलाकाड़ और पाथनामठ जिले से लिए गए सैंपल में भी डेल्‍टा प्‍लस वैरिएंट के मिलने की पुष्टि सरकार की तरफ से की जा चुकी है। सरकार इसको लेकर इन जिलों में जरूरी उपाय भी कर रही है। पीटीआई के मुताकिब पलाकाड़ जिले में दो और पाथनामठ में एक व्‍यक्ति में ये पाया गया है। यहां पर ये एक चार वर्ष के बच्‍चे की जांच के दौरान मिला है। सरकार ने इन सभी सैंपलों को सीएसआईआर और आईजीआईबी भेजा था।


मध्‍यप्रदेश में अब तक इसके पांच मामले सामने आ चुके हैं। राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के मुताबिक इनमें से एक की मौत हो चुकी है जबकि अन्‍य चारों को वैक्‍सीन दी जा चकी है और वो स्‍वस्‍‍थ हैं। राज्‍य में इसका पहला मामला भोपाल में एक 65 वर्षीय महिला में मिला था। ये महिला अब कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो चुकी है। इस महिला को वैक्‍सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं। 23 मई को इस महिला का सैंपल नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने लिया गया था। 16 जून को इस महिला के इस वैरिएंट से पॉजीटिव होने की खबर आई थी। इसके अन्‍य चार मामले शिवपुरी से सामने आए हैं।

तमिलनाडु सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्‍य में महामारी की दूसरी लहर के दौरान मामले बढ़ने की सबसे बड़ी वजह Delta Variant रहा था। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 से मई 2021 के बीच करीब 554 टेसट किए गए जिसमें से 386 में Delta Variant की मौजूदगी का पता चला। कुछ लोगों में एल्‍फा वैरिएंट भी मिला है। जिन लोगों का टेस्‍ट किया गया था उनमें 12 वर्ष की आयु से कम उम्र वाले करीब 96 बच्‍चे शामिल थे जिनमें से 76 में इस वैरिएंट की मौजूदगी का पता चला।


पंजाब की बात करें तो यहां से जनवरी से मई 2021 के बीच करीब 2213 सैंपल्‍स एनसीडीसी और सीएसआईआर को जांच के लिए भेजे गए थे। इसमें से 1164 सैंपल में जांच के दौरान करीब 1022 में Delta Variant रिपोर्ट किया गया था।

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