वैभव लक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी के वैभव रूप की आराधना का विशेष व्रत है, जिसे मुख्यतः शुक्रवार के दिन रखा जाता है. यह व्रत आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किया जाता है. लेकिन इस व्रत को करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, वरना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता.
वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें?
- व्रत की शुरुआत
व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है.
शुरुआत में 11 या 21 शुक्रवारों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन नहीं करना चाहिए. - पूजन विधि
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और उत्तर या पूर्व दिशा में माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर श्रीयंत्र, कलश और चांदी का सिक्का रखें.
माता लक्ष्मी को सिंदूर, रोली, मौली, लाल फूल, फल और खीर का भोग अर्पित करें.
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें.
किन बातों का रखें ध्यान?
तामसिक भोजन से परहेज़ करें
व्रत के दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार और खट्टी चीज़ों का सेवन न करें.
सात्विकता बनाए रखें
फलाहार करें या एक समय सादा सात्विक भोजन लें जिसमें फल, दूध, मखाने आदि शामिल हों.
पूजन में शुद्धता जरूरी है
पूजा स्थल, वस्त्र और मन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. पूजा के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार न रखें.
व्रत कथा का पाठ अनिवार्य है
बिना कथा के व्रत अधूरा माना जाता है. कथा के बाद ही आरती करें.
दान और सेवा करें
व्रत के दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें. इससे पुण्य बढ़ता है और व्रत का फल कई गुना हो जाता है.
व्रत के लाभ:
आर्थिक संकटों से मुक्ति
घर में सुख-शांति और समृद्धि
मानसिक संतुलन और आत्मिक शुद्धता
व्यवसाय और नौकरी में सफलता
पितृ कृपा और पारिवारिक कल्याण
वैभव लक्ष्मी व्रत श्रद्धा, नियम और सात्विकता से किया जाए तो यह जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है. लेकिन अगर व्रत के नियमों का पालन न किया जाए, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है. इसलिए व्रत करते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखें.