हत्या, हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमलों की लगातार खबरों के बीच बांग्लादेश में चुनावी गतिविधियां चरम पर पहुंच गई हैं. फरवरी में होने वाले आम चुनाव के लिए सोमवार, 29 दिसंबर को नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि थी. इसी आखिरी समय में देश की राजनीति में प्रमुख उथल-पुथल देखने को मिली. कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और सत्ता से हटाने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले छात्र नेताओं के बीच स्पष्ट मतभेद और आंतरिक फूट उभरकर सामने आई. आइए जानें कि बांग्लादेश के आम चुनाव में कितना पैसा खर्चा होता है, क्या यह भारत से कम है ज्यादा.
बांग्लादेश में चुनाव खर्च की वास्तविकता
बांग्लादेश में आम चुनावों में खर्चा कई स्तरों पर देखा जाता है. चुनाव आयोग के आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक आम संसदीय चुनाव में उम्मीदवार लगभग 50 लाख से 2 करोड़ बांग्लादेशी टाका (लगभग 35 लाख से 1.4 करोड़ रुपये) तक खर्चा आता है. इसमें प्रचार सामग्री, रैलियों, विज्ञापन, वाहन और कर्मचारी खर्च शामिल हैं. बांग्लादेश में संसदीय सीटें अपेक्षाकृत छोटी और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में होती हैं, जिससे उम्मीदवारों को व्यापक प्रचार और व्यक्तिगत संपर्क पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है.
भारत की तुलना में खर्च
भारत में आम चुनावों का खर्च बांग्लादेश के मुकाबले कई गुना अधिक है. एक संसदीय चुनाव में उम्मीदवार 5 से 10 करोड़ रुपये तक खर्च कर सकते हैं. इसकी वजह है भारत में बड़ी निर्वाचन क्षेत्र की आबादी, विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र और विज्ञापन, मीडिया प्रचार का बड़ा हिस्सा. वहीं, बांग्लादेश में चुनाव क्षेत्र छोटे होते हैं, लेकिन घनी आबादी के कारण व्यक्तिगत प्रचार और जनसंपर्क पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है.
भ्रष्टाचार और कानूनी पहलू
दोनों देशों में चुनाव खर्च को लेकर नियम हैं, लेकिन उनका पालन चुनौतीपूर्ण होता है. बांग्लादेश में चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों को खर्च सीमा तय की है, लेकिन अक्सर इसका उल्लंघन होता है. भारत में भी चुनाव आयोग खर्च की सीमा तय करता है, लेकिन राजनीतिक दल विज्ञापन, सोशल मीडिया और बाहरी सहायता के माध्यम से इसे पार कर लेते हैं.
रणनीति और प्रचार का खर्च
बांग्लादेश में राजनीतिक प्रचार में मुख्य रूप से रैलियां, पोस्टर, पंपलेट और सड़क-पर-संपर्क कार्यक्रम शामिल हैं. सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत की तुलना में कम खर्चीला है. भारत में मीडिया विज्ञापन, टीवी चैनल, सोशल मीडिया, रोड शो और बड़े पैमाने पर प्रचार सामग्री पर अरबों रुपये खर्च होते हैं.

