Hormonal changes in women after 45

45 की उम्र के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होता है, इससे शरीर में क्या -क्या होता है? क्या ये बदलाव खतरनाक हैं?

Hormonal changes in women after 45: एक उम्र के बाद शरीर में कई सारे चेंजेंस आने लगते हैं. आखसकर महिलाओं में ये बदलाव होना स्वाभाविक है. जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, शरीर में बहुत से बदलाव धीरे-धीरे होने लगते हैं. इनमें से एक बड़ा और असरदार बदलाव होता है Hormonal Disbalance . 45 की उम्र के आसपास आते-आते ज्यादातर महिलाएं महसूस करने लगती हैं कि उनके शरीर में कुछ अलग हो रहा है. लेकिन ये बदलाव इतने चुपचाप होते हैं कि कई बार समझ ही नहीं आता कि इसका असली कारण क्या है.

एस्ट्रोजेन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) दो मुख्य हार्मोन होते हैं जो महिलाओं में होते हैं. शरीर में कई ज़रूरी काम करते हैं खासकर reproductive system और मासिक धर्म से जुड़े हुए. लगभग 40 से 45 की उम्र में इन हार्मोन्स में बदलाव होता है और शरीर की reproductive क्षमता कम हो जाती है और पीरियड्स बंद हो जाते है जिसके मेनोपॉज फेज कहते हैं. मेनोपॉज वो समय होता है जब महिलाओं के पीरियड्स बंद होने लगते हैं या पूरी तरह बंद हो जाते हैं. लेकिन इसका असर सिर्फ पीरियड्स तक सीमित नहीं रहता. हार्मोन्स का यह उतार-चढ़ाव पूरे शरीर को प्रभावित करता है दिमाग से लेकर हड्डियों तक.

Hormonal Disbalance के लक्षण

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में महिला रोग विभाग में डॉ बताती हैं किइस उम्र में दिखने वाले लक्षण कहीं न कहीं एक ही वजह से जुड़ते हैं और वो है शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन जैसे महिला हार्मोन्स का कम होना. जब भी शरीर में Hormonal Disbalance होता है तो ढेर सारे संकेत शरीर को मिलने लगते हैं जैसे- नींद पूरी न होना, जल्दी थकान होना, पसीना आने लगना, मूड स्विंग्स होना, चिडचिड़ापन होना या शरीर में दर्द बने रहना. ये सब इशारे उम्र बढ़ने के कारण ही नहीं होते हैं बल्कि इनके पीछे वजह होती है हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ना. जैसे-कुछ महिलाएं नोटिस करती हैं कि बाल झड़ने लगे हैं, वजन बिना कुछ खाए-पीए बढ़ रहा है या फिर स्किन ढीली और रूखी लगने लगी है.

क्या ये बदलाव खतरनाक हैं?

अब सवाल आता है कि क्या ये बदलाव खतरनाक हैं? क्या इसका कोई इलाज है? या फिर इसे बस सहना ही पड़ता है? डॉक्टरों के मुताबिक, मेनोपॉज और हार्मोनल बदलाव से निपटने के लिए सबसे ज़रूरी है लाइफस्टाइल मैनेजमेंट. 45 की उम्र कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत हो सकती है अगर आप अपने शरीर की सुनें, समझें और सही कदम उठाएं. हार्मोनल बदलाव एक नेचुरल प्रोसेस है जिसको डर के साथ नहीं, समझदारी से संभालने की ज़रूरत है. जैसे कुछ जानकारी नीचे दी गई है इन्हें अपना सकते हैं-

डाइट- हेल्दी, फाइबर और कैल्शियम से भरपूर डाइट लेना बहुत ज़रूरी है. हरी सब्जियां, फल, नट्स और लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें.

एक्सरसाइज- रोज़ाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योग करने से न सिर्फ हार्मोन बैलेंस रहते हैं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है.

नींद और तनाव- पर्याप्त नींद लेना और तनाव कम करना बेहद ज़रूरी है. मेडिटेशन, ब्रिदिंग एक्सरसाइज और खुद के लिए समय निकालना इसमें मदद करता है.

मेडिकल सलाह- अगर लक्षण ज्यादा परेशान कर रहे हों, तो डॉक्टर से हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या दूसरे विकल्पों पर बात करें. कुछ महिलाओं को विटामिन D, कैल्शियम या आयरन की सप्लीमेंट की भी ज़रूरत होती है.

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