PSU Banks

2026 में फिर बदल सकते हैं सरकारी बैंक, सरकार करने जा रही ये बड़ा काम

केंद्र सरकार अब पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU Banks) की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने की तैयारी कर रही है. खबर है कि सरकार रिजर्व बैंक (RBI) के साथ मिलकर एक ऐसा खाका तैयार कर रही है, जिससे 2026 तक देश में सरकारी बैंकों का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा. विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साधने के लिए सरकार चाहती है कि हमारे बैंक सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के बड़े बैंकों के सामने सीना तानकर खड़े हो सकें.

सिर्फ देश नहीं, दुनिया में डंका बजाने की तैयारी
भारत के पास अभी 12 सरकारी बैंक हैं, लेकिन जब बात ग्लोबल लेवल की आती है, तो हम कहीं पीछे छूट जाते हैं. फिलहाल सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ही दुनिया के टॉप 50 बैंकों में अपनी जगह बना पाया है. हैरानी की बात यह है कि प्राइवेट सेक्टर का दिग्गज HDFC बैंक भी दुनिया के टॉप 100 बैंकों की लिस्ट से बाहर है. सरकार का विजन अब बिल्कुल साफ है. अगर भारत को आने वाले वक्त में आर्थिक महाशक्ति बनना है, तो हमारे पास ऐसे विशालकाय बैंक होने चाहिए जो बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड कर सकें. बड़े बैंकों के पास पूंजी ज्यादा होती है और वे ग्लोबल मार्केट के झटकों को आसानी से झेलने की ताकत रखते हैं.

पहले जब 27 से 12 रह गए थे बैंक
यह पहली बार नहीं है जब बैंकों के एकीकरण की बात हो रही है, बल्कि यह एक लंबी प्रक्रिया का अगला चरण है. आपको याद होगा कि कैसे 2019-20 के मेगा मर्जर ने देश में सरकारी बैंकों की गणित बदल दी थी. उस वक्त 27 बैंकों की संख्या घटकर सिर्फ 12 रह गई थी. उस दौर में ओरिएंटल बैंक और यूनाइटेड बैंक का विलय पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुआ था. सिंडिकेट बैंक कैनरा बैंक का हिस्सा बन गया था, जबकि इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ था. इसी तरह आंध्रा और कॉर्पोरेशन बैंक यूनियन बैंक में समा गए थे. इससे भी पहले एसबीआई ने 2017 में अपने सहयोगी बैंकों को खुद में मिलाकर अपनी संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दी थी.

विदेशी भरोसे का सिग्नल
अब सवाल यह है कि सरकार को इस वक्त इतना बड़ा कदम उठाने का भरोसा क्यों है? इसका जवाब बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट में छिपा है. वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ही 12 सरकारी बैंकों ने करीब 93,675 करोड़ रुपये का भारी-भरकम मुनाफा कमाया है. अनुमान है कि साल खत्म होते-होते यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ के पार चला जाएगा. यही वित्तीय मजबूती सरकार को कड़े और बड़े फैसले लेने का आत्मविश्वास दे रही है. दूसरी तरफ, आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया भी मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है. यस बैंक और आरबीएल बैंक जैसे उदाहरण बता रहे हैं कि विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ रहा है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो 2026 में हम भारतीय बैंकिंग इतिहास का एक नया अध्याय शुरू होते देख सकते हैं.

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