स्वतंत्र भारत के पहले और सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल Nehru को उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश याद कर रहा है। इस दौरान PM नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा, ‘ पुण्यतिथि पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल Nehru को श्रद्धांजलि।’

राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा, ‘पंडित जवाहरलाल Nehru जी एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी, आधुनिक भारत के निर्माता और हमारे पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने देश को ऐसे बड़े संस्थान दिए जो वक्त पर हमारे काम आ सके। भारत के इस महान सपूत को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।’
इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने आधिकारीक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके कहा, ‘आपके विजन ने हमें एक संपन्न लोकतंत्र दिया, आपकी तर्कसंगतता ने हमें विकास की दिशा में आगे बढ़ने में मदद की और आपकी सहानुभूति प्रकृति ने हमें सहिष्णुता और भाईचारा सिखाया। भारत आपको धन्यवाद करता है।’

1955 में भारत रत्न से सम्मानित हुए
पंडित Nehru ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे। वह लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद में विश्वास रखते थे।साल 1955 में पंडित नेहरू को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। पंडित Nehru ने देश की कमान तब संभाली, जब देश भुखमरी, गरीबी और अशिक्षा जैसी महामारी की स्थिति से गुजर रहा था।
आजादी के बाद देश को विकास पथ पर लाने के लिए उन्होंने योजना आयोग का गठन किया। उनकी नीतियों वजह से देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का रचयिता कहते। उन्होंने देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया।
पंडित जी ने ही संसदीय सरकार की स्थापना और गुटनिरपेक्षता के विचार दिया था। वह 1947 से अपनी मृत्यु तक 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति, नेहरू ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर में बहुत सम्मान अर्जित किया।14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में जन्में पंडित Nehru का 27 मई, 1964 को 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
महान लेखक थे पंडित नेहरू
पंडित Nehru एक महान राजनीतिज्ञ और प्रभावशाली वक्ता होने के साथ-साथ महान लेखक भी थे। उनकी रचनाओं में ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री, इंडिया एंड द वर्ल्ड, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया और और बायोग्राफी ‘टुवर्ड फ्रीडम’ प्रचलित हैं। इन सभी किताबों में द डिस्कवरी ऑफ इंडिया सबसे प्रचलित किताब है। इसकी किताब की रचना 1944 में अहमदनगर की जेल में हुई थी। पंडित Nehru ने इसे अंग्रेजी में लिखा था। बाद में हिंदी में अनुवाद हुआ।

