केंद्रीय कृषि मंत्री Narendra Singh Tomar ने सोमवार को कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। Farmers नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनके साथ संपर्क में है। मालूम हो कि Farmers यूनियनों ने तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की।
तोमर ने कहा कि नए कानून Farmers की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इन कानूनों के प्रति सरकार की नीति और मंशा बिल्कुल स्पष्ट और सही है। उन्होंने कहा, ‘हमने किसानों और किसान नेताओं को समझाने की कोशिश की। हमारी इच्छा है कि वे आएं और एक-एक प्रावधान पर चर्चा करें। अगर वे एक-एक प्रावधान पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए तैयार हैं तो हम वार्ता के लिए तैयार हैं।’
उन्होंने संकेत दिए कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी। साथ ही विश्वास जताया कि सरकार और आंदोलित किसानों के बीच सहमति बन जाएगी और उनका आंदोलन जल्द खत्म हो जाएगा। तोमर ने कहा कि सिर्फ ‘वास्तविक किसान’ नेता ही आगे आएंगे और रास्ता निकालेंगे। कुछ लोग हैं जो समाधान के रास्ते में बाधा डाल रहे हैं और नहीं चाहते कि Farmers किसी फैसले पर पहुंचें, लेकिन ‘वास्तविक किसान नेता’ निश्चित रूप से रास्ता निकाल लेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘सही मायनों में किसान प्रतिनिधियों में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो यह कह सके कि वह अकेला किसानों और नए कानूनों के बारे में बात कर सकता है।
बता दें कि प्रदर्शनकारी Farmers यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की ओर से बातचीत की अगुआई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री Piyush Goyal और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं। केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई 5 दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सरकार ने Farmers यूनियनों को एक मसौदा प्रस्ताव विचारार्थ भेजा है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रखने का लिखित आश्वासन भी है, लेकिन किसान यूनियनों ने प्रस्ताव खारिज कर दिया और कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं।
शाह से उनके आवास पर मंत्रणा
Narendra Singh Tomar ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और लगातार दूसरे दिन किसानों की मांगों व उससे जुड़े मसलों पर विचार-विमर्श किया। दोनों मंत्रियों ने देशभर के ऐसे किसानों और उनके नेताओं से संपर्क कर गतिरोध समाप्त करने की विस्तृत योजना पर चर्चा की जिनकी दिलचस्पी जमीनी स्तर पर किसानों के फायदे के मकसद से मुद्दों को सकारात्मक तरीके से सुलझाने में हो।
सात राज्यों की किसान यूनियनों ने दिया कानूनों को समर्थन
उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र के अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (एआइकेसीसी) से जुड़े 10 किसान संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को कृषि मंत्री Narendra Singh Tomar से मुलाकात की और कृषि कानूनों और उनमें जरूरी संशोधनों का समर्थन किया। पिछले दो सप्ताह में कानूनों को समर्थन देने वाला यह चौथा समूह है।
28 राज्यों में मौजूदगी वाली एआइकेसीसी के महासचिव गुणावथ पाटिल हेंगरगेकर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसके मुताबिक, ‘हम जानते हैं कि देश के कुछ हिस्सों खासकर दिल्ली में किसान आंदोलन में कुछ तत्व किसानों के बीच गलतफहमी फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे अथक प्रयासों और लंबे संघर्ष के बाद आजादी का सवेरा दिखाई दे रहा है, लेकिन कुछ तत्व किसानों के बीच गलतफहमी फैलाकर इसे काली रात में तब्दील करने की कोशिश कर रहे हैं।’ वहीं, पाटिल ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि अगर दो पक्षों के बीच समझौते का उल्लंघन हो तो विवाद के तेजी से निपटारे के लिए सरकार ट्रिब्यूनल की स्थापना करे। क्योंकि सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और डिप्टी कमिश्नर के पास समय नहीं होता और दीवानी अदालतों में मामले के निपटारे में काफी समय लगता है।’
हरियाणा के BJP सांसदों-विधायकों ने भी की मुलाकात
हरियाणा के BJP सांसदों और विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी तोमर से मुलाकात की और तीनों नए कृषि कानूनों का समर्थन किया। प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया, लोकसभा सदस्य धरमवीर सिंह व नायब सिंह सैनी, राज्यसभा सदस्य डीपी वत्स और कुछ विधायक शामिल थे। बैठक में सतलज यमुना लिंक नहर के पानी के मुद्दे पर भी बातचीत हुई।
जावडेकर ने की केजरीवाल की आलोचना
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को Farmers Protest के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल की आलोचना की। जावडेकर ने ट्वीट कर कहा, ‘अरविंद केजरीवाल जी यह आपका ढोंग है। पंजाब विधानसभा चुनाव में आपने एपीएमसी एक्ट में संशोधन का वादा किया था। नवंबर, 2020 में आपने एक कृषि कानून को अधिसूचित किया और आज आप भूख हड़ताल पर हैं।’