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बिखराव के कगार पर किसान आंदोलन, चढ़ूनी संयुक्त किसान मोर्चे से अलग

केंद्रीय कृषि कानूनाें के खिलाफ टिकरी और सिंघू बार्डर पर चल रहा किसान संगठनों का आंदोलन बिखराव के कगार पर पहुंच गया है। लगभग आठ महीने से चल रहे आंदोलन में किसान संगठनों और किसान नेताओं के बीच टकराव अब खुलेआम सामने आ गया है। संयुक्‍त किसान मोर्चा में नेताओं के टकराव के कारण टूट शुरू हो गई है। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्‍त मोर्चा से किनारा कर लिया है और मोर्चा से अलग होने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही उन्‍होंने किसान नेताओं योगेंद्र यादव और शिवकुमार कक्‍का पर निशाना साधा है। संयुक्‍त किसान मोर्चा ने पंजाब के चार संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की है।

हरियाणा से आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग होने के साथ ही अपने साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। दरअसल पंजाब के ही चार संगठनों द्वारा चढूनी के नेतृत्व में सक्रियता दिखाना संयुक्त किसान मोर्चे के कुछ नेताओं को अखर गया तो इन चारों संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से चढूनी बिफर गए। उन्होंने अपने फेसबुक पेज के जरिये जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं की तीखी आलोचना की। उनके निशाने पर पंजाब के संगठन हैं।

उन्‍होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में पहले दिन से मेरे साथ भेदभाव हो रहा है। कई घटनाएं ऐसी हुई, जब मुझे बाहर करने की कोशिश की गई। मगर जब वही गतिविधि किसी और ने की तो उनके खिलाफ मोर्चा ने कोई एक्शन नहीं लिया। पंजाब की चार जत्थेबंदी हमारे साथ जुड़ी थीं। जो डेरा बाबा नानक से बड़ा जत्था लेकर आए थे।

चढ़ूनी ने कहा कि इनकी गलती सिर्फ ये थी कि ये चारों संगठन मेरे नेतृत्व में जत्था लेकर आए थे। आज चारों को मीटिंग से बाहर निकाल दिया गया। इनमें पगड़ी संभाला लहर से सतनाम सिंह, किसान यूनियन संघर्ष कमेटी से गुरप्रीत सिंह, पंजाब फेडरेशन से इंद्रपाल सिंह, किसान यूनियन से गुरमुख सिंह शामिल हैं। मेरे ऊपर दो बार कार्रवाई की गई, अब इन चारों को मेरे साथ जुड़ने पर इनके खिलाफ कार्रवाई हुई। यहां तक कि हमारे जत्थे का स्वागत करने वालों को भी 15 दिनों के लिए निकाल दिया गया था।

उन्‍होंने कहा कि तानाशाही चल रही है, जिसको हम इसलिए बर्दाश्त कर रहे हैं कि ताकि आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा न टूटे। चढूनी ने शिवकुमार कक्का का नाम लेते हुए कहा कि मेरे ऊपर उन्होंने आरोप लगाए थे। जब हमने शिकायत की तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, मोर्च के नेता केवल टरकाते रहे। टोहाना मामले को भी इसी तरह दबाया गया।

चढूनी ने योगेंद्र यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह कई राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त रहे। संसद के बाहर जंतर-मंतर पर भी बिहार के नेता को शामिल किया गया। उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उस नेता ने राकेश टिकैत की यूनियन से आंदोलन में इंट्री की। आज जब चार संगठनों के खिलाफ नाजायज कार्रवाई हुई तो मैं भी मोर्चा की मीटिंग छोड़कर बाहर आ गया और संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल व नौ सदस्यीय कमेटी से खुद को अलग करता हूं, लेकिन आंदोलन में हम शामिल रहेंगे। इस आंदोलन को कुछ लोग तोड़ना चाहते हैं। हम इसे नहीं टूटने देंगे। पंजाब की 32 जत्थेबंदियों को मुझसे बहुत ज्यादा तकलीफ है, मगर हम फिर भी अनुशासन में रहेंगे।

सूत्र बताते हैं कि आंदोलन के बीच ‘टीवाईसी कंपनी’ का नाम लेकर विरोध में स्वर उठ रहे हैं। टीवाईसी का मतलब टिकैत, योगेंद्र और कामरेड बताया जा रहा है। इसके साथ ही आंदोलन के बीच राष्ट्रीय किसान मोर्चा के नाम से नया संगठन खड़ा करने की भी कोशिश चल रही है। संयुक्त किसान मोर्चे में पंजाब के संगठनों की मनमानी और राकेश टिकैत व योगेंद्र यादव की भूमिका के खिलाफ अंदर-अंदर आक्रोश बढ़ रहा है।

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