रहे ना रहे हम महका करेंगे… मजरूह सुल्तानपुरी

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

मजरूह सुल्तानपुरी, हिंदी सिनेमा के एक ऐसा गीतकार जिसने अपनी कमल से कई शानदार गीत लिखे,
होठों में ऐसी बात मैं दबा के चली आई…
मेरी भीगी भीगी सी पलकों पर रह गये…
चला जाता हूं किसी की धुन में…
ये रातें ये मौसम नदी का किनारा ये चंचल हवा…


ये बॉलीवुड के कुछ ऐसी सदाबहार गीत हैं जिन्हें हर नई पीढ़ी दोहराएगी, और सदियों साल तक याद रखे जाएगें। मजरूह सुल्तानपुरी अगर जिंदा होते तो आज सौ साल पूरे कर चुके होते। लगभग 300 से ज्यादा बॉलीवुड फिल्मस में 4000 के ज्यादा गीत उनके नाम है।
हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार(lyricist) और उर्दू के सबसे बड़े शायरों में एक गिने जाने वाले मजरूह सुल्तानपुरी का जन्मदिन 1अक्‍टूबर 1919 को उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर में हुआ था, इनके पिता पुलिस विभाग में कार्यरत थे। इनकी उनकी इच्छा थी कि मजरूह अच्छी शिक्षा लेकर देश का नाम रौशन करें। मजरूह सुल्तानपुरी तकमील उल तीब कालेज से तालीम लेकर यूनानी पद्यति की मेडिकल परीक्षा उत्तीर्ण की और एक हकीम के रूप में काम करने लगे।

मजरूह को शेरो-शायरी के प्रति बचपन से ही लगाव था, इसलिए अक्सर वो मुशायरों में हिस्सा लेते थे, जिससे उन्हें काफी नाम और शोहरत हासिल होने लगी, इसके बाद उन्होनें यूनानी दवाखाना छोड़ दिया और शेरो-शायरी की दुनिया मे कदम बढ़ाया, फिर एक वक्त ऐसा भी आया की उन्होंने बॉलीवुड में अपनी जगह बना ली, और आखिरकार वो मुकाम हासिल किए जिसे दुनिया देखती रह गई।

फिल्मी दुनिया में उनके अनगिनत गाने हिट हुए और मानो मजरूह लोगों के दिलो पर राज करने लगे। 1946 में फिल्म शाहजहां से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले मजरूह ने कई बेहतरीन गाने लिखे, फिल्मेकर नासिर हुसैन के साथ मजरूह की जो़ड़ी खूब जमीं, और बॉलीवुड को करीब 14 हिट फिल्मस दी, जिसमें, Tumsa Nahin Dekha (1957), Teesri Manzil (1966), Baharon Ke Sapne, Caravan, Yaadon Ki Baraat (1973), Hum Kisise Kum Naheen (1977), Qayamat Se Qayamat Tak (1988), Jo Jeeta Wohi Sikander (1992), Akele Hum Akele Tum, Kabhi Haan Kabhi Naa शामिल हैं। सिनेमा में अपने योगदान के लिए उन्हें 1993 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 6 दशकों से भी ज्यादा बॉलीवुड में अपना योगदान देने वाले मजरूह ऐसे गीतकार हैं जिन्होनें ब्लैक एंड वाइट फिल्मों में सहगल से लेकर रंगीन फिल्मों में सलमान तक के लिए गानें लिखे हैं।

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