मस्क को जमा नहीं सरकारी ‘राज-काज’, 130 दिन में ही हो गया ‘मोहभंग’, जानिए ट्रंप का साथ छोड़ने की इनसाइड स्टोरी

एलन मस्क के इस ऐलान की पुष्टि करते हुए व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि ‘हां वह जा रहे हैं, प्रशासन से उनकी विदाई का कार्यक्रम आज रात शुरू हो जाएगा।’ मस्क का ट्रंप प्रशासन से हटना हाल के दिनों में सरकारी नीतियों, विधेयकों और ताजा फैसलों पर टेस्ला के मालिक और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच बढ़ते मतभेदों से जोड़कर देखा जा रहा है।

Elon Musk leaves DOGE : दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने बड़ा कदम उठाते हुए टंप प्रशासन में अपनी भूमिका से अलग हो गए हैं। सरकारी फिजूलखर्जी में कटौती और प्रशासनिक सुधारों को लागू करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आते ही सरकार दक्षता विभाग (DOGE) का गठन किया था और इस विभाग की जिम्मेदारी मस्क और भारतवंशी विवेक रामास्वामी को दी थी। रामास्वामी पहले ही DOGE छोड़कर जा चुके हैं और अब मस्क ने ट्रंप प्रशासन को अलविदा कह दिया है। अपने इस कदम की जानकारी X पर देते हुए मस्क ने कहा कि ‘विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में मेरा निर्धारित समय समाप्त हो रहा है। मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद देना चाहता कि उन्होंने मुझे फिजूलखर्ची को कम करने का अवसर दिया। ‘डीओजीई’ मिशन समय के साथ और मजबूत होगा क्योंकि यह जीवन का एक तरीका बन जाएगा।’

मस्क के जाने की व्हाइट हाउस ने की पुष्टि

मस्क के इस ऐलान की पुष्टि करते हुए व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि ‘हां वह जा रहे हैं, प्रशासन से उनकी विदाई का कार्यक्रम आज रात शुरू हो जाएगा।’ मस्क का ट्रंप प्रशासन से हटना हाल के दिनों में सरकारी नीतियों, विधेयकों और ताजा फैसलों पर टेस्ला के मालिक और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच बढ़ते मतभेदों से जोड़कर देखा जा रहा है। यही नहीं ट्रंप प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी मस्क का मनमुटाव और गतिरोध भी उनके इस फैसले की एक वजह माना जा रहा है।

ट्रंप के अभियान पर खर्च किए 300 मिलियन डॉलर

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए जब चुनाव प्रचार चल रहा था तो मस्क ने ट्रंप का खुलकर समर्थन किया। ट्रंप के चुनाव अभियानों पर उन्होंने भारी भरकम राशि खर्च की। रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप के चुनावी अभियान पर मस्क ने करीब 300 मिलियन डॉलर खर्च किए और उनकी रैलियों में हिस्सा लिया। ट्रंप के साथ उनकी बढ़ती नजदीकी से यह कयास लगने लगे कि रिपब्लिकन पार्टी के नेता की जीत पर टेस्ला के मालिक को ट्रंप प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है और प्रशासन की नीतियों एवं नियुक्तियों को वह प्रभावित कर सकते हैं।

मस्क के सुझावों पर 260,000 लोग हटाए गए

राष्ट्रपति बनने पर ट्रंप ने उन्हें DOGE जैसे विभाग की उन्हें अहम जिम्मेदारी दी। ट्रंप से करीबी की वजह से वह सरकार में काफी ताकतवर शख्स बन गए। DOGE की जिम्मेदारी निभाते हुए मस्क ने सरकारी फिजूलखर्ची रोकने और विभागों की प्रशासनिक क्षमता सुधारने एवं उन्हें प्रभावी बनाने के लिए कई सुझाव दिए। उनके सुझावों को लागू करते हुए ट्रंप प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की छटनी की। रिपोर्टों के अनुसार संघीय सरकार के कुल 23 लाख कर्मचारियों में से करीब 12 फीसदी (260,000) लोग हटाए गए। इनमें से कुछ को निकाला गया और बहुतों को समय से पहले रिटायर किया गया। बताया जाता है कि प्रशासन में मस्क के बढ़े हुए कद और उनकी कथित दखलंदाजी ट्रंप के करीबी दूसरे नेता पसंद नहीं करते थे। व्हाइट हाउस के कई अधिकारियों के साथ मस्क के विवाद की रिपोर्ट भी आईं।

संघीय नौकरशाही की स्थिति ज्यादा खराब-मस्क

बताया जाता है कि हाल के ट्रंप के फैसले एवं नीतियों ने भी दोनों के बीच दूरी और मतभेद बढ़ाने का काम किया। मस्क ने ट्रंप के खर्च की योजना पर सवाल उठाते हुए उसकी आलोचना की। उन्होंने यह भी कहा कि DOGE के मुखिया के तौर पर उनके सुझावों पर काम नहीं होने से वह निराश हैं। उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के टैक्स बिल का यह कहते हुए विरोध किया कि यह बहुत ही खर्चीला है और सरकारी खर्च कम करने की DOGE को जिम्मेदारी को कमजोर बनाएगा। बीते मंगलवार को अपनी निराशा जाहिर करते मस्क ने कहा कि ‘मैंने जितना अनुभव किया है कि संघीय नौकरशाही की स्थिति उससे कहीं ज्यादा खराब है। मुझे लगता था कि वहां कुछ समस्याएं हैं लेकिन डीसी में चीजों को ठीक करने की कोशिश करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है।’ मस्क ने आगे कहा कि व्हाइट हाउस की सभी ‘गलत चीजों’ के लिए DOGE को ही जिम्मेदार बता दिया जा रहा था।

जीरो टैरिफ’ पर जोर दे रहे थे मस्क?

बताया जाता है कि ट्रंप के टैरिफ को लेकर भी मस्क खुश नहीं थे। वह अमेरिका और यूरोप के बीच ‘जीरो टैरिफ’ पर जोर दे रहे थे। उन्होंने इस पर ट्रंप प्रशासन को प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन व्हाइट हाउस के कारोबार सलाहकर पीटर नावारो ने इसे खारिज कर दिया जिसे लेकर दोनों में बहस भी हुई। मस्क ने नावारो को ‘मूर्ख’ बताया। यही नहीं ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ एवं कैबिनेट रैंक के अधिकारियों के साथ मस्क की नोक-झोंक होने की खबरें भी सामने आईं।

मस्क को पसंद नहीं आई अबू धाबी-ओपेन एआई डील

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कि हाल ही में अबू धाबी और ओपेन एआई के बीच हुई डील को लेकर मस्क भी ने व्हाइट हाउस के अधिकारियों से निराशा जाहिर की। ओपेन एआई मस्क के प्रतिद्वंद्वी सैम ऑल्टमैन की कंपनी है। वाल स्ट्रीट जनरल का दावा है कि मस्क चाहते थे कि इस डील में उनकी कंपनी को भी शामिल किया जाए। उन्होंने इस डील को रोकने की कोशिश की। ट्रंप प्रशासन और राजनीति से मस्क के मोहभंग के पीछे न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक और वजह बताया है। अखबार का कहना है कि मस्क विस्कोन्सिन ज्यूडिशियल उम्मीदवार के लिए अपना आदमी चाहते थे और इसकी लॉबिंग में उन्होंने 25 मिलियन डॉलर खर्च किए लेकिन उनकी यह चाहत पूरी नहीं हो पाई।

राजनीति की कड़वी सच्चाई से हुआ सामना

बीते करीब पांच महीने में अंतरिक्ष कंपनी स्पेक्स एक्स के मालिक मस्क को राजनीति एवं प्रशासन की कड़वी सच्चाइयों से सामना हुआ। सियासत और कारोबार दो अलग-अलग चीजें हैं। कारोबारी ट्रंप भी हैं लेकिन वह राजनीति समझते हैं। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति मस्क के मन और मिजाज का मेल राजनीति से पूरी तरह नहीं हो पाया और उन्हें वापस अपने कारोबारी जगत में लौटना पड़ रहा है।

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