कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश के कई राज्य बुरी तरह ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे हैं. इस बीच डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने कहा है कि वो 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाएगा. इसके लिए धन राशि पीएम केयर्स फंड से दी गई है. DRDO द्वारा LCA, तेजस में ऑन बोर्ड ऑक्सीजन जनरेशन के लिए विकसित की गई मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक अब कोविड-19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन से जुड़े वर्तमान संकट से लड़ने में मदद करेगी.
ये ऑक्सीजन संयंत्र 1,000 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की क्षमता के लिए बनाया गया है. ये प्रणाली पांच एलपीएम की प्रवाह दर पर 190 रोगियों की जरूरत को पूरा कर सकती है और प्रति दिन 195 सिलेंडर चार्ज कर सकती है. मैसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु और मैसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया गया है, दोनों देश के विभिन्न अस्पतालों में स्थापना के लिए 380 संयंत्रों का उत्पादन करेंगे. सीएसआईआर से संबंधित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के साथ काम करने वाले उद्योग 500 एलपीएम क्षमता के 120 संयंत्रों का उत्पादन करेंगे.
देशभर कोरोना की प्रचंड दूसरी लहर के बीच भारतीय रेलवे भी ऑक्सीजन संकट को दूर करने के जबरदस्त प्रयास कर रहा है. रेलवे अब तक अपनी विशेष ट्रेनों के जरिए 450 टन ऑक्सीजन की सप्लाई कर चुका है. भीषण ऑक्सीजन संकट का सामना कर रही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को भी मंगलवार को 70 टन मेडिकल ऑक्सीजन की खेप मिली. दिल्ली को ये ऑक्सीजन की खेप जिंदल स्टील एंड पावर प्लांट लिमिटेड से मिली है.
रेल मंत्रालय के मुताबिक इन विशेष ट्रेनों के जरिए अब तक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 450 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचाई जा चुकी है. बताया गया है कि एक और ऑक्सीजन एक्स्प्रेस बोकारो से जबलपुर भेजी जा रही है जो मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन संकट को दूर करने की कोशिश करेगी. वहीं यूपी से एक और खाली ट्रेन बोकारो पहुंच चुकी है जहां से ऑक्सीजन की खेप यूपी भेजी जाएगी.