डरकर नहीं, डटकर किया COVID-19 का मुकाबला

डॉक्टर मोहम्मद हसीन मलिक कोरोना को मात देकर अपने घर लौट चुके हैं। हालांकि अभी वह एक हफ्ते घर में क्वारंटाइन में ही रहेंगे।डॉक्टर हूं तो जानता हूं कि किसी भी बीमारी का मुकाबला करने में इच्छाशक्ति की बहुत जरूरत है। यही कोरोना पर भी लागू होता है। अगर इससे पीड़ित मरीज डर जाए तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। मैंने इस बीमारी का डरकर नहीं डटकर मुकाबला किया। यही वजह है कि यह बीमारी अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी मुझ पर हावी नहीं हुई। यह कहना है मौजपुर में निजी क्लीनिक के डॉक्टर मोहम्मद हसीन मलिक का।

डॉ. हसीन मलिक का कहना है कि यहां मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर जब कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो उन्होंने 20 मार्च को अपना क्लीनिक बंद कर दिया। क्योंकि उनके पास भी मरीज पहुंच रहे थे। इसके बाद वह अपने घर में एक कमरे में अकेले रहने लगे। 24 मार्च को उन्हें बुखार आया तो मन में डर जरूर बैठ गया। खुद GTB अस्पताल जाकर टेस्ट करवाया। 2 दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आया।

CDMO डॉ. सुशांत नायक ने GTB अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा। एंबुलेंस आई तो वह खुद उसमें जाकर बैठ गए। इसके बाद जीटीबी अस्पताल में उनका इलाज चला। उन्होंने बताया कि उन्हें तीन दिन बुखार था। इसके अलावा कोई लक्षण नहीं थे। बुखार ठीक होते ही उन्हें यह भरोसा हो गया कि अब वह ठीक होकर घर लौटेंगे। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मरीजों में कोई लक्षण नहीं था। लेकिन लोग इसके खौफ के कारण डरे हुए थे। वह उन्हें भी यही बताते रहे कि इस बीमारी में बहुत कम लोगों को खतरा है। ऐसे लोग जो पहले से बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें दिक्कत आ सकती है।

डॉ. हसीन मलिक ने कहा कि अस्पताल में रहने के दौरान कभी भी नकारात्मक बातें मैंने अपने जेहन में नहीं आने दी। क्योंकि जब आप बीमारी के बारे में बहुत अधिक सोचने और डरने लगते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस बीमारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग इसे समङों कि यह खतरा एक व्यक्ति के लिए नहीं है। यह आपके परिवार के लोगों को भी खतरे में डाल देते हैं।

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