कोरोना संकट के बीच बिहार के बक्सर जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। सोमवार को यहां के चरित्रवन में शवदाह की जगह नहीं बची। बताया जा रहा है कि गांवों में पिछले एक-डेढ़ महीने से मौतें अचानक बढ़ गई हैं। मरने वाले सभी खांसी-बुखार से पीड़ित थे। चौसा श्मशान घाट पर आने वाले अधिकतर शवों को गंगा में डाल दिया जा रहा है। इनमें से सैकड़ों शव किनारे पर सड़ रहे हैं।
चरित्रवन और चौसा श्मशान घाट पर दिन-रात चिताएं जल रही हैं। कब्रिस्तानों में भी भीड़ लगी रहती है। पहले जहां चौसा श्मशान घाट पर प्रतिदिन दो से पांच चिताएं जलती थीं, वहीं अब 40 से 50 चिताएं जलाई जा रही हैं। बक्सर में यह आंकड़ा औसतन 90 है।
वहीँ बिहार के बक्सर ज़िले के चौसा प्रखंड के चौसा श्मशान घाट पर गंगा में कम से कम 40 लाशें तैरती हुई मिली हैं. स्थानीय प्रशासन ने बातचीत में इसकी पुष्टि की है. लेकिन स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया है कि उन्होंने श्मशान घाट पर इससे ज़्यादा लाशें देखी हैं.
स्थानीय स्तर पर जो तस्वीरें आई हैं वो दिल दहला देने वाली हैं. लाशों को जानवर नोचते दिख रहे थे.
चौसा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने एक बड़े मीडिया हाउस के सामने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, “30 से 40 की संख्या में लाशें गंगा में मिली हैं. इस बात की संभावना है कि ये लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर आई हैं. मैंने घाट पर मौजूद रहने वाले लोगों से बात की है, जिन्होंने बताया कि लाशें यहाँ की नहीं है.”
चरित्रवन श्मशान घाट पर एक बार में 10 से अधिक शवदाह हो रहे हैं। यहां दिन-रात चिताएं जल रही हैं। चौसा में भी यही हाल हैं। रविवार को बक्सर में 76 शव सरकारी आंकड़ों में दर्ज हुए, जबकि 100 से अधिक दाह-संस्कार हुए। रोजाना 20 से अधिक लोग शमशान घाट में रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराते हैं। चौसा में भी 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें सात को जलाया गया तो वहीं 16 शवों का नदी में बहा दिया गया।
चौसा CO नवलकांत ने बताया कि उन्होंने SDO के दिशा-निर्देश पर रविवार को श्मशान घाट का जायजा लिया। रात में शव को दाह संस्कार करने में दिक्कत न हो उसके लिए जनरेटर लाइट की व्यवस्था की गई है। गंदगी को साफ करने के लिए दो लोगों को रखा गया है। साथ ही वहां पर दो चौकीदार और एक सलाहकार को नियुक्त किया गया है। वे दाह संस्कार करने वालों की डिटेल भी नोट कर रहे हैं।