थाईलैंड-भारत में सिर्फ केस बढ़े… कोरोना तो असली कोहराम अमेरिका में मचा रहा है, 7 दिन में 350 मौतें

देश भर की बात करें तो एक हफ्ते में 1000 से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं. सिर्फ आंकड़े ही नहीं, कोरोना से हो रही मौतों ने भी एक बार फिर डर बढ़ा दिया है. भारत में तो कोरोना से अब तक कुल 7 मौतें हुई है मगर अमेरिका में हर हफ्ते कोरोना 350 लोगों की जान ले रहा है. आइए समझते हैं आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

एक बार फिर से कोरोना वायरस ने सिर उठाना शुरू कर दिया है. भारत हो या अमेरिका, दोनों देशों में कोविड-19 के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है भारत में जहां नए मरीज सामने आ रहे हैं, वहीं अमेरिका में कोरोना अब भी हर हफ्ते सैकड़ों लोगों की जान ले रहा है, ऐसा नहीं है कि पहले जैसी भयावह स्थिति है, लेकिन यह जरूर साफ हो गया है कि कोरोना पूरी तरह गया नहीं है. पिछले कुछ हफ्तों से देश के अलग-अलग हिस्सों से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में नोएडा में कोविड के 9 नए केस रिपोर्ट हुए हैं.

जिसके बाद वहां एक्टिव मरीजों की संख्या 10 हो गई है. सभी मरीज फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं. देश भर की बात करें तो एक हफ्ते में 1000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. सिर्फ आंकड़े ही नहीं, कोरोना से हो रही मौतों ने भी एक बार फिर डर बढ़ा दिया है. अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि उनकी मौत की वजह सिर्फ कोरोना ही थी या कोई और बीमारी भी कारण बनी. इसी तरह थाईलैंड में स्थिति खराब होती दिख रही है, यहां पर महज एक हफ्ते में कोरोना के 50 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए हैं.

दूसरी तरफ अमेरिका में कोरोना अब भी जान ले रहा है, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, बीते हफ्ते 350 अमेरिकियों की मौत कोविड-19 की वजह से हुई है. यह संख्या पहले की तुलना में कम है लेकिन चिंता अभी भी बनी हुई है. एक नया सब-वेरिएंट NB.1.8.1 अमेरिका समेत एशिया, सिंगापुर और हांगकांग में फैल रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है, हालांकि इसकी गंभीरता को लेकर अभी रिसर्च जारी है.

वैक्सीन की कम डोज और कमजोर इम्युनिटी बना रही है खतरा

अमेरिका में सिर्फ 23% वयस्कों ने ही अपडेटेड वैक्सीन ली है. बच्चों में यह आंकड़ा और भी कम है सिर्फ 13%. विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन ना लगवाना और समय के साथ इम्युनिटी का कमजोर होना, दोनों मिलकर इस स्पाइक की वजह बन रहे हैं. बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में वायरस का असर ज्यादा हो रहा है. इसलिए 65 साल से ऊपर के लोगों को हर छह महीने में वैक्सीन की टो डोज लेने की सलाह दी गई है.

इलाज में लापरवाही भी बढ़ा रही है रिस्क

एक बड़ी वजह यह भी है कि लोग तब तक इलाज नहीं लेते जब तक हालत बिगड़ न जाए. अमेरिका में मोलनुपिराविर (Merck), पैक्सलोविड (Pfizer) जैसी एंटीवायरल गोलियां उपलब्ध हैं, जो लक्षण शुरू होने के पांच दिन के अंदर ली जा सकती हैं. लेकिन कई लोग इनका सही समय पर इस्तेमाल नहीं करते. डॉक्टरों का कहना है कि सही वक्त पर टेस्ट और दवा से गंभीर संक्रमण रोका जा सकता है.

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