कोरोना वायरस पर हर दिन नई नई खोज हो रही है। अब वैज्ञानिकों ने कोरोना पर किए अपने अध्ययन में पता लगाया है कि नए कोरोना वायरस का कुछ उत्परिवर्तन मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली से संबंधित उस प्रोटीन से दिशा-निर्देशित होता है जो इसे कमजोर करने में सहायक है।
इस खोज से कोरना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए नए कोरोना के टीके को तैयार करने में सहायता मिलेगी। इस बारे में ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के एलन राइस के साथ साथ अन्य अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि जब सभी जीवधारी रूप में बदलाव करते हैं तो यह प्रक्रिया सामान्य तौर पर आकस्मिक होती है।
हालांकि, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के अध्ययन में कोरोना वायरस के मामले में ये भी कहा गया है कि वायरस के रूप में बदलाव की प्रक्रिया आकस्मिक ना होकर हमेशा के लिए हो। वहीं मानव इसे कमजोर करने के लिए रक्षा तंत्र के रूप में उत्परिवर्तित कर रहे हैं। नव-कोरोना वायरस सार्स-कोव-2 से जुड़ी जानकारी ‘मॉलीक्यूलर बॉयलॉजी एंड इवोल्यूशन’ में प्रकाशित की गई है।
आपको बता दें दुनियाभर से 15,000 से अधिक वायरस जीनोम का आकलन वैज्ञानिकों ने किया और 6,000 से अधिक उत्परिवर्तनों की पहचान की गई। इस बार में यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के मिलनर सेंटर फॉर इवोल्यून के डायरेक्टर लॉरेंस हर्स्ट ने कहा कि, ‘‘हम वायरस का उत्परिवर्तन कर इस पर हमला कर रहे हैं।’’
आपको बता दें दुनियांभर में एक करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, तो वहीं कोरोना से 6.25 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए 120 मेडिकल टीम अलग अलग हिस्सों में रिसर्च में जुटी है, और वैक्सीन की दिशा में काफी हद तक सफलता भी मिल चुकी है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि इस साल के अंत तक वैक्सीन आ जाएगी। अबतक