कोरोना वायरस के कहर से दुनियां को बचाने के लिए अमेरिका ब्रिटेन समेत कई देश इसके वैक्सीन के इजाद में लगे हैं। इसी कड़ी में खबर है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। बता दें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के वैक्सीन पर काम करना शुरू कर दिया है और उसका कहना है कि वो जिस वैक्सीन को तैयार कर रहे हैं, उसमें सफलता मिलने की 80 फीसदी संभावना है। ऐसे में इस जानलेवा वायरस से जूझ रहे दुनियां के तमाम देशों के लिए ये एक अच्छी खबर होगी। आपको बता दें ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक कहना है कि ऑक्सफॉर्ड और इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन में हो रहे परीक्षण के लिए, दोनों को कम से कम 20 मिलियन यूरो और दिए जाएंगे।इसके टेस्टिंग के लिए वॉलिंटियर्स से हिस्सा लेने के लिए अपील भी की गई है। इसके साथ ही हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक ने ये भी कहा कि जो भी वॉलिंटियर्स वैक्सीन के परिक्षण में हिस्सा लेंगे उन्हें 625 यूरो दिए जाएंगे। इसके साथ ही ये भीी कहा कि जो लोग इसमें हिस्सा लेंगे उनका उनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच होनी चाहिए, और उन्हें अन्य कोई बिमारी नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दें ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर सारा गिलबर्ट का कहना है कि वैक्सीन कारगर है या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कम्युनिटी में वायरस का कितना अधिक ट्रांसमिशन हुआ है। साथ ही ये भी कहा कि वैक्सीन लेने के बाद वॉलिंटियर्स का कोरोना पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आना जरूरी है अगर ऐसा नहीं होगा तो इस बात की जानकारी नहीं मिल पाएगी कि वैक्सीन से उन्हें कोरोना संक्रमित होने से बचाया या नहीं। इसके साथ ही प्रोफेसर सारा गिलबर्ट ने ये भी कहा कि इस वायरस से संक्रमित होने का उन्हें ज्यादा खतरा है जो इस वक्त अस्पताल में कार्यरत हैं। ऐसे में इन हेल्थ वर्कर्स का टेस्ट करना ज्यादा कारगर होगा।
आपको बता दें ऑक्सफोर्ड में जेनर इंस्टिट्यूट टीम ने इसका ट्रायर शुरू होने से पहले इसका प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर एंड्यू पोलार्ड का कहना है कि अभी फिलहाल इस वैक्सीन का प्रोडक्शन बड़ी मात्रा में करना मुश्किल है। लेकिन फिर भी छोटी मात्रा में इसके प्रोडक्शन पर काम शुरू हो चुका है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो वैक्सीन बनाई जा रही है उसका नाम ChAdOx1 nCoV-19 रखा गया है। इसे बनाने में यूके की तीन कंपनियों लगी हैं।

