अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के एकाएक सिर उठाने की वजह डेल्टा वेरिएंट में अचानक एक म्यूटेशन खत्म होना तथा दूसरा पैदा होना है। वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस म्यूटेशन की वजह से अचानक डेल्टा वेरिएंट बेकाबू हो गया और उसने उस समय धीरे-धीरे फैल रहे यूके वेरिएंट को भी पछाड़ दिया। Corona Delta Variant
CSIR की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एवं इंट्रीग्रेटिव बायोलॉजी (ICIB) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल एवं अन्य वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार डेल्टा वेरिएंट B.1.617 ने फरवरी-मार्च में बढ़ना शुरू किया। लेकिन मार्च आखिर में इस वेरिएंट में फिर से बदलाव नोट किए गए थे। इसके एक वेरिएंट में म्यूटेशन E484Q अचानक खत्म हो गया तथा उसकी जगह म्यूटेशन T478के उत्पन्न हो गया। इसके बाद बीमारी का तेजी से फैलाव देखा गया। Corona Delta Variant
उन्होंने यह नतीजा दिल्ली में किए गए संक्रमितों के जीनोम सिक्वेंसिंग के आधार पर निकाला है लेकिन करीब-करीब पूरे देश में इसी प्रकार की स्थिति पैदा होने का अनुमान है। इस नए म्यूटेशन यानी बी.1.617.2 को ही ब्रिटेन और डब्ल्यूएचओ ने चिंता का कारण बताया है तथा यह दुनिया के कई देशों में अब तक फैल चुका है। Corona Delta Variant
मेडरेक्सीव जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि इस म्यूटेशन के बाद वायरस ने इंसान द्वारा हासिल प्रतिरोधक क्षमता से भी बचने की ताकत हासिल कर ली। नतीजा यह हुआ कि जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो गया था, या जो पूर्व में सीरो पॉजीटिव पाए गए थे, उन्हें भी दोबारा संक्रमण हुआ। आईजीआईबी कुछ लोगों में एंटीबॉडी की निगरानी कर रहा है। उसने पाया कि जनवरी-फरवरी के दौरान सिरो पॉजीटिव लोगों में एंटीबॉडी कम हो गई थी। लेकिन मार्च में फिर बढ़ गई। इसका मतलब यह हुआ है कि उन्हें दूसरी बार संक्रमण हो चुका है। Corona Delta Variant