बच्चों की मौत पर CM अशोक गहलोत का असंवेदनशील बयान, बोले- यह नई बात नहीं

मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के कोटा में 10 नवजात बच्‍चों की अचानक हुई मौत मामले पर ऐसा जवाब दिया, जिसे सुनकर कोई भी सिर्फ इतना ही कहेगा- असंवेदनशील। नवजात बच्‍चों की मौत पर किसी प्रदेश का मुख्‍यमंत्री अगर असंवेदनशील बयान दे, तो सुनकर बड़ा दुख होता है। इस मुद्दे से जुड़े पत्रकारों के सवाल पर गहलोत ने पल्‍ला झाड़ते हुए कहा कि राजस्‍थान के हर अस्पताल में हर रोज 3-4 मौतें होती हैं। इसमें कुछ भी नया नहीं है। मुख्‍यमंत्री ने यहां इसके साथ ही यह दावा किया कि इस साल पिछले 6 सालों के मुकाबले सबसे कम बच्‍चों की जान गई है।

मुख्‍यमंत्री गहलोत से जब बच्‍चों की मौत के बारे में सवाल किया गया, तो उन्‍होंने कहा, ‘मेरे पास आंकड़ें हैं कि बीते 6 सालों में इस साल सबसे कम जानें गई हैं। इस साल केवल 900 मौतें हुई हैं। अगर एक भी बच्चे की मौत होती है, तो वो दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन मौतें 1400 भी हुई हैं, 1500 भी हुई हैं। इस साल तकरीबन 900 मौतें हुई हैं।’ उन्‍होंने कहा कि इस तरह से देखा जाए, तो इस साल काफी मौते कम हुई हैं। लोगों को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मिलें, इसके लिए हमने काफी कदम उठाए हैं। लोगों को सिर्फ 900 मौतें ही नजर आ रही हैं।

अशोक गहलोट ने आगे कहा, ‘देखिए, 900 भी क्यों हुई हैं, वो भी नहीं होनी चाहिए। देश-प्रदेश के अंदर हर दिन हर अस्पताल के अंदर 3-4 मौतें होती हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है।’ सीएम ने कहा कि इसके लिए उन्होंने जांच कराई है और कार्रवाई भी है। कोटा के जेकेलोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में दस नवजात बच्‍चों की अचानक मौत हो गई थी। इस महीने इसी अस्पताल में 77 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसलिए सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत इसे सामान्‍य मानते हैं।

राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। कोटा के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु जेके लोन अस्पताल में पिछले 2 दिन में 10 बच्चों की मौत हो गई। यह सभी बच्चे एनआईसीयू में भर्ती थे। मामला सामने आने पर राजस्थान के CM अशोक गहलोत जांच के लिए एक मौके पर रवाना किए हैं। वहीं कोटा के सांसद, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने मामले में चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की। इस मामले पर जेके लोन अस्पताल में के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर बेरवा ने बताया कि तीन-चार बच्चों की रोजाना डेथ एक एवरेज है। वहीं, पूरे साल में बच्चों की मृत्यु को देखा जाए तो यह और सालों की अपेक्षा इस महीने में कम मौतें हुई हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1