Chhath Puja 2023: छठ मैया को क्यों पसंद है आरता पत्ता? क्यों इसके बिना अधूरी है पूजा, क्या है मान्यता

छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा पर्व है. इस त्योहार को मनाने के लिए श्रद्धालु देश के किसी भी कोने में हो दूर- दूर से खिंचे चले आते हैं. और जो लोग घर नहीं आ पाते वो जिस जगह होते हैं इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से वहीं मनाते हैं.

Chhath Puja 2023: छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से शुरू हो चुकी है. शनिवार को छठ का दूसरा दिन यानी खरना है. छठ पूजा में कई ऐसी चीजें हैं. जिनका खास महत्व होता है. छठ की पूजा में खासतौर पर आरता पत्ता का इस्तेमाल किया जाता है. लाल रंग का ये आरता पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए पूजा अधूरी मानी जाती है. कहते हैं कि छठ मैया को आरता पत्ता बेहद पसंद है, इसलिए पूजा में खासतौर पर लोग इसे रखते हैं.

क्या होता है आरता पत्ता?

आरता पत्ता को छठ मैया और सूर्य देव की पूजा अर्चना के दौरान अर्पित किया जाता है. छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले आरता पत्ता को बनाने में साफ -सफाई का और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. इसे बनाने वाले कारीगर भी शुद्धता को लेकर खास ख्याल रखते हैं. इसे बनाने का काम कई दशकों से बिहार में होता आ रहा है. आरता पत्ता को शुद्धता से बनाने के बाद बाजार में पहुंचा दिया जाता है, जिसे व्यापारी बिहार के अलावा देश के बड़े-बड़े शहरों में पहुंचा देते हैं.

कैसे बनता है आरता पत्ता?

आरता पत्ता बिहार में कई जिलों में बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए अकवन की फली का प्रयोग किया जाता है. अकवन की फली से रूई को निकाला जाता है. उसके बाद इसमें बेसन या मैदा को मिलाया जाता है. इसे कलर देने के लिए इसमें लाल रंग को मिलाया जाता है. उसके बाद मिट्टी के बर्तन में रुई को आकार दिया जाता है. इसे बनाने में काफी वक्त और मेहनत लगती है. इसे बनाने के लिए कारीगर महीनों पहले तैयारियां शुरू कर देते हैं. बिहार के कुछ गांव ऐसे हैं, जहां गांव के सैकड़ों लोग आरता पत्ता बनाने का काम करते हैं, कई लोगों ने तो अपने जीवन के 50 साल तक आरता पत्ता बनाने में बिता दिए.

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