दुनिया में तरह-तरह की बीमारियों से लोग जूझ रहे हैं। इनमें से तो कई ऐसी हैं जिन पर लगातार खूब काम करने के बाद भी साइंटिस्ट और रिसचर्स ने बहुत कम ही पॉजिटिव रिजल्ट पाया है। स्टेम सेल रिसर्च का कमाल इसी चैलेंज से शुरू होता है। यह बायलॉजिकल रिसर्च का वह अडवांस लेवल है, जिसमें तरह-तरह के साइंस बैकग्राउंड से आए लोग तरह-तरह की बीमारियों के लिए नई-नई थेरपी ढूंढते हैं। आज हम स्टेम सेल रिसर्च के दौर में हैं और आने वाला दौर स्टेम सेल थेरपी का है। किसी बीमारी के ट्रीटमेंट में बीमार टिश्यू में नया एडल्ड स्टेम सेल डालकर उसे हेल्दी करना, स्टेम सेल ट्रीटमेंट का बेसिक फंडा है। मसलन, ल्यूकिमिया के ट्रीटमेंट में बोन मैरो और अबलिकल कॉर्ड के स्टेम सेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि पाकिर्नसन, डायबीटीज मेलिटस, खतरनाक कैंसर तक के इस थेरपी से ठीक होने की संभावनाएं हैं और इन पर काम काफी आगे की स्टेज पार कर चुका है।
स्टेम सेल टेक्नॉलजी में चाहे रिसर्च हो या थेरपी फील्ड, दोनों ही में बढि़या करियर ऑप्शन हैं। अगर आपको लगता है कि सिर्फ मेडिकल प्रफेशनल ही इस फील्ड में आ सकते हैं, तो आप गलत हैं। अगर आपने बेसिक बायॉलजी भी पढ़ी है, तो आप इस फील्ड में खुद को आजमा सकते हैं। बीएस ग्रैजुएट, जिसने कम से कम बायॉलजी का एक सब्जेक्ट पढ़ा हो या एमबीबीएस या बीफार्मा या बीडीएस या बीवीएससी या बीई-बायोटेक्नॉलजी के स्टूडेंट के लिए स्टेम सेल रिसर्च में कई जॉब ऑप्शन हैं । धीरे-धीरे फैल रही बायोमेडिसिन की इस ब्रांच में क्वॉलिटी मैनपावर की जरूरत है। 2013 में बायोमेडिसिन की मार्केट की 20 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखते हुए साइंस के अलग-अलग फील्ड के पोस्टग्रैजुएट स्टूडेंट्स इस र्वल्ड में अपना करियर शुरू कर सकते हैं।
इंटरनैशनल लेवल पर तो स्टेम सेल फील्ड में और भी ज्यादा मौके हैं। यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, यूएस के स्टूडेंट्स के पास डिवेलपमेंटल बायॉलजी, टिश्यू इंजीनियरिंग, एंब्रायॉलजी, मेडिकल बायो टेक्नॉलजी, मॉल्यूकूलर बायॉलजी, सेल बायॉलजी, नैनोटेक्नॉलजी, क्लिनकल रिसर्च और स्टेज सेल बायॉलजी में रिसर्च या हायर एजुकेशन को लेकर करियर के लिए बढ़िया ऑप्शन हैं।
इस फील्ड में सैलरी भी अच्छी है और कॉम्पिटिशन भी है। पोस्टग्रैजुएशन की डिग्री के साथ फ्रेशर हर महीने 30,000 रुपये तक कमा सकता है। पीएचडी के बाद हर महीने 50,000 रुपये सैलरी का ऑप्शन है। वहीं, इन्हीं पीएचडी स्कॉलर्स को विदेश में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो के तौर पर 35,000 से 40,000 यूस डॉलर या 25,000 से 30,000 यूरो सालाना पैकेज मिलता है।